लेखक परिचय, रचनाएँ, शब्दार्थ, भावार्थ, स्पष्टीकरण
- Books Name
- Hindi ki pathshala HIndi Course B Book
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 9
- Subject
- Hindi
पाठ 6
शुक्र तारे के समान
स्वामी आनंद (1887-1976)
लेखक परिचय
संन्यासी स्वामी आनंद का जन्म गुजरात के कठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में सन् 1887 इनका मूल नाम हिम्मतलाल था। जब ये दस साल के थे तभी कुछ साधु इन्हें अपने साथ हिमालय पाठ में किस के व्यक्तित्व को निखार आ गया हैकी ओर ले गए और इनका नामकरण किया- स्वामी आनंद। 1907 में स्वामी आनंद स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए। महाराष्ट्र से कुछ समय तक ‘तरुण हिंद’ अखबार निकाला, फिर बाल गंगाधर तिलक के ‘केसरी’ अखबार से जुड़ गए। 1917 में गांधीजी के संसर्ग में आने के बाद उन्हीं के निदेशन में ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया’ की प्रसार व्यवस्था सँभाल ली। इसी बहाने इन्हें, गांधीजी और उनके निजी सहयोगी महादेव भाई देसाई और बाद में प्यारेलाल जी को निकट से जानने का अवसर मिला।
पाठ प्रवेश
मूलत: गुजराती भाषा में लिखे गए प्रस्तुत पाठ ‘शुक्रतारे के समान’ में लेखक ने गांधीजी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की बेजोड़ प्रतिभा और व्यस्ततम दिनचर्या को उकेरा है। लेखक अपने इस रेखाचित्र के नायक के व्यक्तित्व और उसकी ऊर्जा, उनकी लगन और प्रतिभा से अभिभूत है। महादेव भाई की सरलता, सज्जनता, निष्ठा, समर्पण, लगन और निरभिमान को लेखक ने पूरी ईमानदारी से शब्दों में पिरोया है। इनकी लेखनी महादेव के व्यक्तित्व का ऐसा चित्र खींचने में सफल रही है कि पाठक को महादेव भाई पर अभिमान हो आता है।
लेखक के अनुसार कोई भी महान व्यक्ति, महानतम कार्य तभी कर पाता है, जब उसके साथ ऐसे सहयोगी हो जो उसकी तमाम इतर चिंताओं और उलझनों को अपने सिर ले लें। गांधीजी के लिए महादेव भाई और भाई प्यारेलाल जी ऐसी ही शख्सियत थे।
शब्दार्थ
- आभा-प्रभा - चमक, तेज
- नक्षत्र - मंडल-तारा समूह
- पीर - महात्मा, सिद्ध
- रूबरू - आमने-सामने
- धुरंधर – प्रवीण,उत्तम गुणों से युक्त
- कट्टर - दृढ़
- पेशा - व्यवसाय
- गाद - तलछट
- सानी - बराबरी
- सिलसिला - क्रम