लेखक परिचय, रचनाएँ, शब्दार्थ, भावार्थ, स्पष्टीकरण
- Books Name
- Hindi ki pathshala HIndi Course B Book
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 9
- Subject
- Hindi
पाठ 5
धर्म की आड़
गणेशशंकर विद्यार्थी (1890-1931)
लेखक परिचय
गणेशशंकर विद्यार्थी का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में सन् 1890 में हुआ। एट्स पास करने के बाद वे कानपुर करेंसी दास्तर में मुलाजिम हो गए। फिर 1921 में ‘प्रताप’ साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया। विद्यार्थी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को अपना साहित्यिक गुरु मानते थे।उन्हीं की प्रेरणा से आजादी की अलख जगानेवाली रचनाओं का सृजन और अनुवाद उन्होंने किया। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने सहायक पत्रकारिता की। विद्यार्थी के जीवन का ज्यादातर समय जेलों में बीता। इन्हें बार-बार जेल में डालकर भी अंग्रेज़ सरकार को संतुष्टि नहीं मिली। वह इनका अखबार भी बंद करवाना चाहती थी। कानपुर में 1931 में मचे सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाने के प्रयास में विद्यार्थी को अपने प्राणों की बलि देनी पड़ी। इनकी मृत्यु पर महात्मा गांधी ने कहा था। काश! ऐसी मौत मुझे मिली होती।
पाठ प्रवेश
प्रस्तुत पाठ ‘धर्म की आड़' में विद्यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है, जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की फ़िराक में रहते हैं। धर्म की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध करनेवाले हमारे ही देश में हो, ऐसा नहीं है। विद्यार्थी अपने इस पाठ में दूर देशों में भी धर्म की आड़ में कैसे-कैसे कुकर्म हुए हैं. कैसी-कैसी अनीतियाँ हुई हैं, कौन-कौन लोग, वर्ग और समाज उनके शिकार हुए हैं, इसका खुलासा करते चलते हैं।
शब्दार्थ
- उत्पाद- उपद्रव, खुराफ़ात
- ईमान- नियत,सच्चाई
- जाहिल- मूर्ख
- अट्टालिकाएं- ऊंचे ऊंचे मकान, प्रासाद
- धनाढ्य- धनवान, दौलतमंद
- स्वार्थ-सिद्धि- स्वार्थ पूरा करना
- प्रपंच- छल
- उदार- महान, दयालु
- कसौटी- परख
- ला-मजहब- जिसका कोई धर्म-मजहब ना हो