पाठ 2

 एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा

बचेंद्री पाल (1954)

लेखिका परिचय

बछेंद्री पाल (जन्म 24 मई 1954), माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला है। सन 1984 में इन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया था। वे एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की पाँचवीं महिला पर्वतारोही हैं। वर्तमान में वे इस्पात कंपनी टाटा स्टील में कार्यरत हैं, जहां वह चुने हुए लोगो को रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देती हैं।

पाठ प्रवेश

बचेंद्री ने एवरेस्ट विजय की अपनी रोमांचक पर्वतारोहण – यात्रा का संपूर्ण विवरण स्वयं ही कलमबद्ध किया है

प्रस्तुत अंश उसी विवरण में से लिया गया है। यह लोमहर्षक अंश बचेंद्री के उस अंतिम पड़ाव से शिखर तक पहुँचकर तिरंगा लहराने के पल-पल का ब्योरा बयान करता है। इसे पढ़ते हुए ऐसा लगता है, मानो पाठक भी उनके कदम-से-कदम मिलाता हुआ, सभी खतरों को खुद झेलता हुआ एवरेस्ट के शिखर पर जा रहा हो।

शब्दार्थ

  • अभियान- चढ़ाई (आगे बढ़ना), किसी काम के लिए प्रतिबद्धता
  • दुर्गम- पहुँचना कठिन हो, कठिन मार्ग
  • हिमपात- बर्फ़ का गिरना
  • आकर्षित- मुग्ध होना, आकृष्ट होना
  • अवसाद- उदासी
  • ग्लेशियर- बर्फ़ की नदी
  • अनियमित- नियम विरुद्ध, जिसका कोई नियम न हो
  • आशाजनक- आशा उत्पन्न करनेवाला
  • भौंचक्की- हैरान
  • अव्यवस्थित- व्यवस्थाहीन, जिसमें कोई व्यवस्था न हो
  • प्रवास- यात्रा में रहना
  • हिम-विदर- दरार
  • आरोही- ऊपर चढ़नेवाला
  • अभियांत्रिकी- तकनीकी
  • नौसिखिया- नया सीखनेवाला
  • विशालकाय पुंज- बड़े आकार के बर्फ़ के टुकड़े (ढेर)
  • पर्वतारोही- पर्वत पर चढ़नेवाला
  • आरोहण- चढ़ना,ऊपर की ओर जाना ,
  • कर्मठता- काम में कुशलता,कर्म के प्रति निष्ठा
  • उपस्कर- आरोही की आवश्यक सामग्री
  • शंकु- नोक
  • प्राप्ति- उपलब्धि
  • जोखिम- खतरा