- Books Name
- Hindi ki pathshala HIndi Course B Book
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 9
- Subject
- Hindi
पाठ 11
गीत- अगीत
रामधारी सिंह’दिनकर’(1908-1974)
कवि परिचय
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया गाँव में 30 सितंबर 1908 को हुआ। वे सन् 1952 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए। भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ अलंकरण से भी अलंकृत किया।
दिनकर जी को ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। अपनी काव्यकृति ‘उर्वशी’ के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। से दिनकर की प्रमुख कृतियाँ हैं: हुँकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, उर्वशी और संस्कृति के चार अध्याय । दिनकर ओज के कवि माने जाते हैं। इनकी भाषा अत्यंत प्रवाहपूर्ण, ओजस्वी और सरल है। दिनकर की सबसे बड़ी विशेषता है, अपने देश और युग के सत्य के प्रति सजगता । दिनकर में विचार और संवेदना का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। इनकी कुछ कृतियों में प्रेम और सौंदर्य का भी चित्रण है।
पाठ प्रवेश
प्रस्तुत कविता ‘गीत-अगीत’ में भी प्रकृति के सौंदर्य के अतिरिक्त जीव-जंतुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण है। कवि को नदी के बहाव में गीत का सृजन होता जान पड़ता है, तो शुक शुकी के कार्यकलापों में भी गीत सुनाई देता है और आल्हा गाता प्रेमी तो गीत-गान में निमग्न दिखाई देता ही है। कवि का मानना है कि गुलाब, शुकी और प्रेमिका प्रत्यक्ष रूप से गीत-सृजन या गीत-गान भले ही न कर रहे हों, पर दरअसल वहाँ गीत का सृजन और गान भी हो रहा है। कवि की दुविधा महज़ इतनी है कि उनका वह अगीत (जो गाया जा रहा, महज इसलिए अगीत है) सुंदर है या प्रेमी द्वारा सस्वर गाया जा रहा गीत?
शब्दार्थ
- तटिनी - नदी, तटों के बीच बहती हुई
- वेगवती - तेज गति से
- उपलों - किनारों से
- निर्झरी - झरना
- पाटल - गुलाब
- शुक - तोता
- खोंते - घोंसला
- पर्ण - पत्ता,पंख
- शुकी - मादा तोता
- बिधना - भाग्य, विधाता
- गुनती - विचार करती है
- वेग - गति
कविता
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता । “
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
भावार्थ- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ने कविता ‘गीत अगीत’ की इन पंक्तियों में कवि ने जंगलों एवं पहाड़ों के बीच बहती हुई एक नदी का वर्णन किया है। उन्होंने कहा है कि विरह अर्थात बिछड़ने का गीत गाती हुई नदी, अपने मार्ग में बड़ी तेजी से बहती जाती है।
नदी अपने वेग में बहती हुई जा रही है। वह अपनी विरह वेदना के गीत को किनारों से, जंगलों से, पहाड़ों से सुनाती हुई चली जा रही है।वहीं किनारे पर एक गुलाब खड़ा सोच रहा है कि अगर मुझे भी ईश्वर ने स्वर दिया होता, तो मैं भी अपनी पतझड़ के दिनों का अर्थात् दुख के दिनों की व्यथा को संसार को सुनाता।
निर्झरी गाती हुई बह रही है और गुलाब चुपचाप खड़ा होकर सोच रहा है।
कविता
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।
रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
भावार्थ- कवि ने यहां शुक और शुकी की क्रियाकलापों को दर्शाकर गीत और अगीत में अंतर बताना चाहा है।
यहां शुक जिस पेड़ की डाल पर बैठकर बसंती हवा के स्पर्श से मदमस्त होकर शुकी के प्रेम का गीत गा रहा है, उसी वृक्ष की छांव में उसका घोंसला है, जिसमें शुकी अपने पंख को फैलाकर अंडे से रही है।वह शुक के गीत को सुनकर खुश होती है और अपने पंखों को फुलाकर अपनी खुशी जाहिर करती है।शुकी के स्वर भी बाहर आना चाहते हैं, परंतु वह निकल नहीं पाते, उसके बच्चे के स्नेह में दबकर रह जाते हैं।
कविता
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्हा गाता है,
पहला स्वर उसकी राधा को
घर से यहाँ खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना’, यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
भावार्थ- इन पंक्तियों में कवि ने दो प्रेमियों का वर्णन किया है। प्रेमी जब शाम के समय अपनी प्रेमिका को बुलाने के लिए प्रेम भरे गीत गाता है, तो उसके स्वर को सुनकर प्रेमिका खिंची चली आती है। वह नीम के पेड़ के आड़ में छिपकर अपने प्रेमी के गीत को सुनती है और सोचती है काश! वह उसके गीत की कड़ी होती। वह चुपचाप उस पेड़ के आड़ में खड़ी होकर उसके गीत का आनंद लेती है।
इस प्रकार एक और प्रेमी अपने प्रेम का इजहार करने के लिए गीत गाता है और दूसरी ओर प्रेमिका चुप रह कर भी उसके गीत को सुनकर प्रभावशाली ढंग से अपने प्यार को व्यक्त करती है। इसलिए उसका अगीत भी किसी मधुर गीत से कम नहीं है।