लेखक परिचय, रचनाएँ, शब्दार्थ, भावार्थ, स्पष्टीकरण

पाठ -1

 दुख का अधिकर

यशपाल (1903-1976)

लेखक परिचय

यशपाल का जन्म फिरोज़पुर छावनी में सन् 1903 में हुआ। इन्होंने आरंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल में और उच्च शिक्षा लाहौर में पाई। यशपाल विद्यार्थी काल से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में जुट ग थे। अमर शहीद भगतसिंह आदि के साथ मिलकर इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया।

यशपाल की प्रमुख कृतियाँ हैं : देशद्रोही, पार्टी कामरेड, दादा कामरेड, झूठा सच तथा मेरी, लेंगे उसकी बात (सभी उपन्यास), ज्ञानदान, तर्क का तूफ़ान, पिंजड़े की उड़ान, फूलों का कुत उत्तराधिकारी (सभी कहानी संग्रह) और सिंहावलोकन (आत्मकथा) |’मेरी तेरी उसकी बात‘ पर यशपाल को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

पाठ -प्रवेश

प्रस्तुत कहानी देश में फैले अंधविश्वासों और ऊँच-नीच के भेद-भाव को बेनकाब करते हुए। यह बताती है कि दुःख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है। कहानी धनी लोगों को अमानवीयता और गरीबों की मजबूरी को भी पूरी गहराई से उजागर करती है। यह सही है कि दुख सभी को तोड़ता है, दु:ख में मातम मनाना हर कोई चाहता है, दु:ख के क्षण से सामना होने पर सब अवश हो जाते हैं, पर इस देश में ऐसे भी अभागे लोग हैं जिन्हें न तो दु:ख मनाने का अधिकार है. न अवकाश!

शब्दार्थ

  • पोशाक- वस्त्र
  • अनुभूति- एहसास
  • अड़चन- विघ्न
  • व्यथा- पीड़ा
  • व्यवधान- रुकावट
  • बेहया- बेशर्म, निर्लज्ज
  • नीयत- इरादा
  • बरकत- वृद्धि
  • खसम- पति
  • परचून की दुकान- आटा चावल दाल आदि की दुकान
  • कछियारी- खेतों में तरकारियां बोना
  • तरावट- गीलापन, नमी
  • ओझा-झाड़- फूंक करने वाला
  • छन्नी-ककना- मामूली गहना
  • सहूलियत- सुविधा

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