- Books Name
- Rimjhim NCERT Explanation Hindi Book
- Publication
- AS Publication
- Course
- Class 1
- Subject
- Hindi
CHAPTER 14
एक बुढ़िया
कविता का सारांश
कविता ‘एक बुढ़िया’ के रचयिता निरंकारदेव ‘सेवक’ हैं। इस कविता में कवि ने एक ऐसी बुढ़िया के बारे में बताया है, जिसके पास कोई काम न था। वह दिनभर खाली रहती और कोई काम नहीं करती थी। काम नहीं रहने के कारण वह दिनभर बैठी रहती और थक जाती थी। इसलिए उसे आराम भी नहीं था। काम न रहने के कारण उसके लिए सुबह, दोपहर, शाम और रात सब बराबर थे।
काव्यांशों की व्याख्या
कहीं एक बुढिया थी जिसका
नाम नहीं था कुछ भी,
वह दिन भर खाली रहती थी
काम नहीं था कुछ भी।
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘एक बुढ़िया’ से ली गई हैं। इसके रचयिता निरंकार देव ‘सेवक’ हैं। इसमें कवि ने बिना काम न करने वाली एक बुढ़िया का वर्णन किया है।
व्याख्या: किसी स्थान पर एक बुढिया रहती थी। वह दिनभर घर में यूँ ही बैठी रहती थी। उसके पास करने के लिए कुछ भी नहीं था।
काम न होने से उसको
आराम नहीं था कुछ भी,
दोपहरी, दिन, रात, सबेरे
शाम नहीं थी कुछ भी।
प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या: बुढिया के पास कोई काम नहीं था, इसलिए वह हमेशा बेचैन रहती थी। इसलिए उसे आराम नहीं था। कोई काम रहने के कारण उसके लिए सुबह, दोपहर, शाम और रात सब बराबर थे।