- Books Name
- Rimjhim NCERT Explanation Hindi Book
- Publication
- AS Publication
- Course
- Class 1
- Subject
- Hindi
CHAPTER 1
झूला
कविता का सारांश
प्रस्तुत कविता ‘झूला’ में कवि ने एक बच्चे की कोमल भावनाओं को व्यक्त किया है। इस कविता में एक बच्चा अपनी माँ से झूले की माँग कर रहा है। बच्चा अपनी माँ से कहता है कि वह उसके लिए एक झूला लगवा दे। बच्चा कहता है कि मैं इस पर झूलूंगा। झूले पर बैठकर और ऊपर बढ़कर आसमान को छू लूंगा।” कवि कहता है कि पेड़-पौधों की डालियाँ झूले की तरह झूल रही हैं। पत्ते-पत्ते तक झूल रहे हैं। बच्चा सोचता है कि इस झूले पर झूलने में कितने मजे हैं। झूले पर बैठकर झूलते हुए वह कल्पना-लोक में कभी दिल्ली तो कभी कलकत्ता की सैर कर आता है। झूले में झूलते बच्चे को ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे उसके झूले के साथ-साथ नीचे की धरती भी झूला झूल रही है। बच्चा झूले से और ऊपर उड़ने के लिए कहता है। रिमझिम-रिमझिम वर्षा हो रही है। झूले पर बैठे बच्चे के मन में आसमान पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों के दल को लूटने के विचार आ रहे हैं।
काव्यांशों की व्याख्या
अम्मा आज लगा दे झूला,
इस झूले पर मैं झूलूंगा।
उस पर चढ़कर, ऊपर बढ़कर,
आसमान को मैं छू लूंगा।
झूला झूल रही है डाली,
झूल रहा है पत्ता-पत्ता।
इस झूले पर बड़ा मज़ा है,
चल दिल्ली, ले चल कलकत्ता।
शब्दार्थ : अम्मा-माँ। झूला-पेड़ या छत आदि से लटकाई हुई रस्सियाँ, जिन पर बैठकर झूलते हैं।
आसमान-आकाश। डाली-पेड़-पौधे की टहनी।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘झूला' से ली गई हैं। इस कविता के कवि रामसिंहासन सहाय ‘मधुर’ हैं। इसमें कवि ने एक छोटे बच्चे के मनोभावों को बड़े ही सुंदर ढंग से दर्शाया है।
व्याख्या – उपर्युक्त पंक्तियों में एक बच्चा अपनी माँ से अपने लिए झूला लगाने को कह रहा है। बच्चा अपनी माँ से कह रहा है कि वह उसके लिए एक झूला लगा दे, ताकि वह उस पर चढ़कर और ऊपर उठकर आसमान को छू सके। झूले के साथ पेड़-पौधे की डालियाँ तथा पत्ते भी झूल रहे हैं। झूले पर बैठकर आनंदित होता बच्चा अपनी कल्पना की उड़ान में झूले को दिल्ली और कलकत्ता ले चलने की बात करता है।
झूल रही नीचे की धरती,
उड़ चल, उड़ चल,
उड़ चल, उड़ चल।
बरस रहा हैं रिमझिम, रिमझिम,
उड़कर मैं लूटू दल-बादल।
शब्दार्थ : रिमझिम बारिश की हल्की फुहार। दल-बदल- बादलों का समूह।
प्रसंग – पूर्ववत।
व्याख्या – उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कह रहा है कि झूले पर झूलते बच्चे को नीचे की धरती भी झूलती नज़र आ रही है। बच्चा अपने झूले को और ऊपर उड़ने के लिए कहता है। वर्षा की हल्की फुहार के बीच बच्चे के मन में आकाश में छाए बादलों को लूटने के विचार भी उमड़-घुमड़ रहे हैं।