- Books Name
- Rimjhim NCERT Explanation Hindi Book
- Publication
- AS Publication
- Course
- Class 1
- Subject
- Hindi
CHAPTER 5
पकौड़ी
कविता का सारांश
प्रस्तुत कविता ‘पकौड़ी’ के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इस कविता में कवि ने गरमा-गरम पकौड़ी के तलने से लेकर उसे मुँह में जाने तक का वर्णन बड़े ही रोचक शब्दों में किया है। जब पकौड़ी को तेल में छाना जाता है तो ऐसा लगता है कि वह तेल में छुन छुन करके नाच रही हो। तली पकौड़ी प्लेट में आने पर
शर्मायी-सी लगती है। दौड़ती हुई पकौड़ी हाथ से उछलकर सीधे पेट तक जा पहुँचती है। कवि कहता है कि पेट में जाकर पकौड़ी घबरा-सी जाती है। कवि के मन को पकौड़ी खूब भाती है।
काव्यांशों की व्याख्या
दौड़ी-दौड़ी आई पकौड़ी।
छुन छुन छुन छुन तेल में नाची,
प्लेट में आ शरमाई पकौड़ी।
दौड़ी-दौड़ी आई पकौड़ी।
शब्दार्थ : शरमाना- लज्ज़ा का अनुभव करना।
प्रसंग – प्रस्तुत पांक्तयाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘पकौड़ी’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इसमें कवि ने गरमा-गरम पकौड़ी के लक्षणों का बखान किया है।
व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में कवि कहता है कि पकौड़ी दौड़ी-दौड़ी आती है तथा छुन छुन करके तेल में नाचने लगती है। जब पकौड़ी खाने के लिए प्लेट में आती है तो शरमा जाती है। कवि कहता है कि पकौड़ी दौड़ी-दौड़ी सी आती है।
हाथ से उछली मुँह में पहुँची,
पेट में जा घबराई पकौड़ी।
दौड़ी-दौड़ी आई पकौड़ी।
मेरे मन को भाई पकौड़ी।
शब्दार्थ : भाई-अच्छी लगी।
प्रसंग : पूर्ववत।
व्याख्या : उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि पकौड़ी हाथ से उछलकर सीधे मुँह में पहुँचती है तथा वहाँ से पेट में जा पहुँचती है। पेट में जाकर पकौड़ी घबरा जाती है। कवि कहता है कि पकौड़ी उसके मन को खूब भाती है।