CHAPTER 20

भगदड़ 

कविता का सारांश
प्रस्तुत कविता ‘भगदड़’ के कवि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं। इस कविता में उन्होंने घर के जीव-जंतुओं से परेशान साठ वर्ष की एक बुढ़िया का वर्णन किया है। कवि कहता है कि बुढिया चक्की चला रही थी, तभी दोने में रखी मिठाई पर मक्खी आकर बैठ गई। बुढ़िया जैसे ही बाँस उठाकर मक्खी को भगाने के लिए दौड़ी, बिल्ली पकौड़े खाने लगी। बुढिया घर के अंदर बिल्ली को भगाने के लिए झपटी, तभी कुत्ता रोटी लेकर भाग गया। तब बुढ़िया बाहर निकली। उसके बाहर निकलते ही एक बकरा घर के अंदर घुस गया। बुढ़िया जैसे ही बाहर निकली, मटका गिर गया। इससे बकरा भाग खड़ा हुआ। तब बुढ़िया थककर बैठ गई तथा बिल्ली को ही पूरा घर सौंप दिया।
काव्यांशों की व्याख्या
बुढ़िया चला रही थी चक्की,  

पूरे साठ वर्ष की पक्की।
दोने में थी रखी मिठाई,
उस पर उड़कर मक्खी आई।
बुढिया बाँस उठाकर दौड़ी,
बिल्ली खाने लगी पकौड़ी।

शब्दार्थ: चक्की – आटा पीसने या दाल दलने वाला पत्थर का एक यंत्र।
 दोना- पत्तों से बना कटोरी के आकार का बरतन।।

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘भगदड़’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं। इसमें कवि ने जीव-जंतुओं की शैतानी से परेशान एक बुढ़िया के बारे में बताया है।
व्याख्या: कवि कहता है कि साठ वर्ष की एक बुढिया चक्की चला रही थी। तभी दोने में रखी मिठाई पर एक मक्खी आकर बैठ गई। बुढ़िया बाँस उठाकर मक्खी को भगाने के लिए दौड़ी। जैसे ही बुढिया मक्खी को भगाने के लिए दौड़ी, एक बिल्ली पकौड़ी खाने लगी।
झपटी बुढ़िया घर के अंदर
कुत्ता भागा रोटी लेकर।
बुढिया तब फिर निकली बाहर,

बकरा घुसा तुरंत ही भीतर।
बुढ़िया चली, गिर गया मटका,
तब तक वह बकरा भी सटका।
बुढ़िया बैठ गई तब थककर,
सौंप दिया बिल्ली को ही घर।

शब्दार्थ:  मटका-मिट्टी का बड़ा घड़ा, जिसका मुख चौड़ा होता है।
प्रसंग:  पूर्ववत।
व्याख्या: पर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि बुढिया जैसे ही घर के अंदर गई, कुत्ता रोटी लेकर भाग खड़ा हुआ। यह देख बुढिया बाहर निकली, तो बकरा तुरंत ही घर के अंदर घुस गया। बुढिया बकरे को भगाने के लिए चली तो वह मटके से टकरा गई जिससे मटका गिर गया। मटका गिरते ही बकरा भाग खड़ा हुआ। तब बुढ़िया थककर बैठ गई और बिल्ली को ही पूरा घर सौंप दिया