CHAPTER 2

आम की कहानी

 चित्रकथा का सारांश
एक लड़की ने आम के एक पेड़ पर लटका हुआ एक पका आम देखा। उसके मुँह में पानी भर आया। सामने के पेड़ पर बैठा एक कौआ भी ललचाई नजरों से इस आम को देख रहा था। लड़की ने अपने भाई को बुलाया और गुलेल से उस पके हुए आम को पेड़ से तोड़ने के लिए कहा। लड़की के भाई ने गुलेल से आम पर निशाना लगाया। आम पेड की डाली से नीचे गिरने लगा। तभी सामने के पेड़ पर बैठा कौआ फुर्ती से उड़ा और उसने गिरते हुए आम को अपनी चोंच में दबोच लिया। किंतु पके आम को अपनी चोंच में दबाए कौआ जैसे ही आगे बढ़ा, मधुमक्खियों के एक छत्ते से टकरा गया। कौए की चोंच से आम छूट गया और पेड़ पर बने एक घोंसले में जा गिरा। घोंसले में कौए ने अंडे दे रखे थे। पेड़ पर बैठी एक गिलहरी ने घोंसले में गिरे आम को उठा लिया।

तभी घोंसले के अंडे फूट गए तथा उनमें से कौए के बच्चे निकल आए और काँव-काँव करके शोर मचाने लगे। इस शोर के कारण गिलहरी के मुँह से आम छूटकर पेड़ के नीचे बैठकर सोते हुए आदमी की पगड़ी पर गिर गया। लड़की और लड़का खुश हो गए। लड़की ने उस आदमी की पगड़ी से आम उठा लिया। वह बहुत खुश थी। लड़का भी अपनी गुलेल को देखकर बहुत खुश हो रहा था।
 

शब्दार्थ :  मुँह में पानी भर आना- ललचा जाना।
गुलेल- एक छोटा उपकरण, जिससे मिट्टी की गोलियाँ चलाई जाती हैं।
घोंसला घास-फूस से बना पक्षी का घर।
चोंच- पक्षी का मुँह।
पगड़ी- सिर पर लपेटकर बाँधने का कपड़ा।