परिभाषा, प्रकार, उदाहरण,शब्द निर्माण

पाठ 4: शब्द

दो या दो से अधिक वर्णों के मेल  शब्द कहते हैं, जिससे कोई सार्थक अर्थ निकलता हो।

जैसे-

क्+अ+म्+अ+ल्+अ=कलम

द्+ए+श्+अ=देश

शब्द के भेद या प्रकार

हिंदी व्याकरण में शब्दों के चार भेद होते हैं –

  • अर्थ की दृस्टि से
  • उत्पति की दृस्टि से
  • व्युत्पत्ति की दृस्टि से
  • प्रयोग की दृस्टि से।

अर्थ की दृस्टि से शब्द के भेद

अर्थ की दृस्टि से शब्द के दो भेद होते हैं –

सार्थक शब्द – जिन हिंदी शब्दों का कुछ अर्थ होता हैं, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं।

सार्थक शब्द के उदाहरण – कलम, छात्र, शिक्षक, विज्ञापन, कंप्यूटर आदि।

निरर्थक शब्द – जिन हिंदी शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता हैं, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं।

निरर्थक शब्द के उदाहरण – पट, लक, खग, मच, अप आदि।

उत्पति की दृस्टि से शब्द के भेद

उत्पति की दृस्टि से शब्द के पांच भेद होते हैं –

तत्सम शब्द – जो संस्कृत शब्द अपना रूप बदले बिना ही हिंदी भाषा में प्रयुक्त होते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं।

तत्सम शब्द के उदाहरण – साक्षी, चक्र, जंघा, तृण, विवाह आदि।

तद्भव शब्द – जिन शब्दों का मूल रूप तो संस्कृत हैं लेकिन

अभी वर्तमान समय में यह परिवर्तित हो गया हैं, इसे तद्भव शब्द कहते हैं।

तद्भव शब्द के उदाहरण – कछुआ, शक़्कर, लाख, राखी, रात आदि।

देशज शब्द – देशज शब्दों का व्युत्पत्ति का पता नहीं चलता। इनका कोई श्रोत नहीं है, ये अपने ही देश में बोलचाल से बने हैं। इसीलिए इन्हें देशज कहते हैं।

देशज शब्द के उदाहरण – तेंदुआ, पगड़ी, पटाखा, भिन्डी, चाँद आदि।

विदेशी शब्द – विदेशी भाषा से हिन्दी में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहते हैं। इनमें फारसी, अरबी, अंग्रेजी, तुर्की, पुर्तगाली और फ्रांसीसी आदि भाषाओं से आये शब्द प्रमुख हैं –

विदेशी शब्द के उदाहरण – आवाज, पेपर, अमीर, मुगल, चाबी आदि।

संकर शब्द – जो शब्द दो भाषाओं के योग से बनते हैं, उन्हें संकर शब्द कहते हैं।

संकर शब्द के उदाहरण –

डाक (हिन्दी) + खाना (अरबी) = डाकखाना

रेल (अंग्रेजी) + यात्री (संस्कृत) =रेलयात्री

अश्रु (संस्कृत) + गैस (अंग्रेजी) = अश्रुगैस

मांग (हिन्दी) + पत्र (संस्कृत) = मांगपत्र

रक्त (संस्कृत) + दान (अरबी) = रक्तदान आदि।

व्युत्पत्ति की दृस्टि से शब्द के भेद

व्युत्पत्ति की दृस्टि से शब्द के तीन भेद होते हैं –

रूढ़ शब्द – वे शब्द जो किसी व्यक्ति, स्थान, प्राणी और वस्तु के लिए वर्षों से प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गए हैं। इन शब्दों की निर्माण प्रक्रिया भी ज्ञात नहीं होती तथा इनका कोई अन्य अर्थ भी नहीं होता।

रूढ़ शब्द के उदाहरण – गाय, रोटी, देवता, आकाश, मेढ़क आदि।

यौगिक शब्द – वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों से बने हैं। शब्दों का अपना पृथक अर्थ भी होता है किन्तु अपने मूल अर्थ के अतिरिक्त एक नए अर्थ का बोध कराते हैं। समस्त संधि, समास, उपसर्ग एवं प्रत्यय से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं।

यौगिक शब्द के उदाहरण – विद्यालय (विद्या + आलय), प्रेमसागर (प्रेम + सागर), राष्ट्रपति (राष्ट्र + पति), पुस्तकालय (पुस्तक + आलय), राजमहल (राज + महल) आदि।

योगरूढ़ शब्द – वे यौगिक शब्द जिनका निर्माण पृथक-पृथक अर्थ देने वाले शब्दों के योग से बनता है, किन्तु वे अपने द्वारा प्रतिपादित अनेक अर्थों में से किसी एक विशेष अर्थ का ही प्रतिपादन करने के लिए रूढ़ हो गए हैं।

योगरूढ़ शब्द के उदाहरण – पीताम्बर, नीलकंठ, लंबोदर, दशानन

प्रयोग की दृस्टि से शब्द के भेद

 प्रयोग की दृस्टि से शब्द के दो भेद होते हैं –

विकारी शब्द – वे शब्द जिनका लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तित हो जाता है, विकारी शब्द कहलाते हैं। इनमे समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं।

अविकारी शब्द – वे शब्द जिनका लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तित नहीं होता, अविकारी शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है।

अविकारी शब्द में क्रिया विशेषण, सम्बन्ध बोधक, समुच्चय बोधक तथा विस्मयादि बोधक आदि शब्द आते हैं।

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