पाठ 2: उपसर्ग

उपसर्ग की परिभाषा

“उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है ।तात्पर्य यह है कि जो शब्दांश किसी शब्द के पूर्व (पहले) जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।

उपसर्ग दो शब्दों- उप + सर्ग के योग से बना है। जिसमें ‘उप’ का अर्थ है- समीप, पास या निकट और ‘सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना। इस तरह ‘उपसर्ग’ का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना या नया अर्थ देना । जैसे- ‘यत्न’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया तो एक नया शब्द ‘प्रयत्न’ बन गया। इस नए शब्द का अर्थ होगा प्रयास करना।

उपसर्ग के प्रकार

उपसर्गों के तीन प्रकार होते हैं।

संस्कृत उपसर्ग (जिनकी संख्या 22 है)

अति, अधि, अनु, अप, अभि, अव, आ, उत्, उप, दुर, नि, परा, परि, प्र, प्रति, वि, सम्, सु, निर्, दुस्, निस्, अपि ।

हिंदी उपसर्ग (इनकी संख्या 10 है)

अ, अध, ऊन, औ, दु, नि, बिन, भर, कु, सु ।

उर्दू उपसर्ग (इनकी संख्या 19 है)

अल, ऐन, कम, खुश, गैर, दर, ना, फ़िल्, ब, बद, बर, बा, बिल, बिला।

उदहारण

हिंदी उपसर्ग और उससे बनने वाले शब्द-

अ (अभाव, नहीं, निषेध)

अपच, अबोध, अजान, अछूता, अथाह, अटल, अलग, अकाज, अचेत, अपढ़, आगाह आदि ।

अन (नहीं, बिना, निषेध)

अनपढ़, अनबन, अनमोल, अनमेल, अनहित, अलग, अनजान, अनसुना, अनकहा, अनदेखा, अनगिनत, अनगढ़, अनहोनी, अनबूझ आदि ।

उपसर्ग बनाने के नियम

 अ उपसर्ग

अ+ भाव = अभाव

अ+थाह   = अथाह

नि उपसर्ग

नि + डर = निडर

जैसे :-  अ+सुंदर = असुंदर (यहां अर्थ बदल गया है )

अति +सुंदर =अतिसुन्दर (यहां शब्द मे विशेषता आई है )

इसी तरह हम अन्य उदाहरण देखेंगे

आ+हार  = आहार (नया शब्द बना है )

प्रति+हार  = प्रतिहार (नया शब्द बना है

प्र+हार  = प्रहार (नया शब्द बना है )

अति+अल्प  = अत्यल्