- Books Name
- Hindi ki pathshala HIndi Course B Book
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 9
- Subject
- Hindi
पाठ 13: पत्र लेखन
पत्र लेखन के आवश्यक तत्व अथवा विशेषताएं
पत्र लेखन से संबंधित अनेक महत्व है, परन्तु इन महत्व का लाभ तभी उठाया जा सकता है, जब पत्र एक आदर्श पत्र की भांति लिखा गया हो।
भाषा सरल एवं स्पष्ट- पत्र के अन्तर्गत भाषा एक विशेष तत्व है। पत्र की भाषा शिष्ट व नर्म होनी चाहिए। क्योंकि नर्म एवं शिष्ट पत्र ही पाठक को प्रभावित कर सकते हैं।
संक्षिप्त- मुख्य बातों को बिना संकोच के लिखा जाना चाहिए। अनावश्यक रूप से लंबे शब्दों को लिखने का परित्याग किया जाना चाहिए।
मौलिकता- पत्र की भाषा पूर्ण मौलिक होनी चाहिए। पत्र सदैव उद्देश्य के अनुरूप लिखा होना चाहिए।
पत्र के अंग
प्रेषक का पता और तिथि― पत्र – लेखन के लिए जिस कागज का प्रयोग किया जाता है उसके उपर के स्थान पर दाहिनी और प्रेषक का पता एवं पत्र लेखन की तिथि का उल्लेख होना चाहिए।
मूल संबोधन – पत्र के बायीं और घनिष्ठता, श्रद्धा या स्नेह-सूचक संबोधन होना चाहिए। जैसे- पूज्य, माननीय, श्रद्धेय, श्रीमान् आदि।
पत्र के निम्न दो प्रकार होते है –
औपचारिक पत्र (Formal Letter)
अनौपचारिक पत्र (Informal Letter)
औपचारिक पत्र- सरकारी तथा व्यावसायिक कार्यों से संबंध रखने वाले पत्र औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत आते है। इसके अतिरिक्त इन पत्रों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को भी शामिल किया जाता है।
प्रार्थना पत्र
निमंत्रण पत्र
सरकारी पत्र
गैर सरकारी पत्र
व्यावसायिक पत्र
औपचारिक पत्र का प्रारूप
अनौपचारिक पत्र-इन पत्रों के अन्तर्गत उन पत्रों को सम्मिलित किया जाता है, जो अपने प्रियजनों को, मित्रों को तथा सगे-संबंधियों को लिखे जाते है।
उदहारण के रूप में – पुत्र द्वारा पिता जी को अथवा माता जी को लिखा गया पत्र, भाई-बंधुओ को लिखा जाना वाला, किसी मित्र की सहायता हेतु पत्र, बधाई पत्र, शोक पत्र, सुखद पत्र इत्यादि ।
अनौपचारिक पत्र का प्रारूप
उदाहरण
औपचारिक पत्र
बड़े भाई के विवाह पर अवकाश के लिए मुख्याध्यापक के नाम प्रार्थना पत्र
सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदया,
नगर निगम विद्यालय, उत्तम नगर, दिल्ली
महोदया
…सविनेय निवेदन इस प्रकार है कि 29.8… के दिन मेरे बड़े भाई का शुभ विवाह होने जा रहा है। बारात दिल्ली से लखनऊ जाएगी। बारात में जाने के कारण में 29.8… तक कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता।
विनम्र प्रार्थना है कि इन तीन दिनों का अवकाश प्रदान कर मुझे कृतार्थ करें।
आपकी आज्ञाकारी शिष्या
भावना
दिनांक- 25 अगस्त
कक्षा: छठी ‘अ’
अनौपचारिक पत्र
पिता का पुत्र को पत्र
दिनांक : 4 जुलाई, 20xx
प्रिय पुत्र विजय
चिरंजीव रहो!
तुम्हारा पत्र कल मुझे मिल गया था। मुझे यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुमने नई कक्षा में प्रवेश ले लिया है और पुस्तकें भी खरीद ली हैं। अब तुम्हें खूब मन लगाकर पढ़ना चाहिए ताकि कक्षा में प्रथम आ सको। मैं छुट्टियों में अवश्य घर आऊँगा। आने से पूर्व पत्र लिख दूंगा। घर में सबको प्यार एवं आशीर्वाद।
तुम्हारा शुभाकांक्षी
रघुबर दत्त
गांधी नगर, मेरठ