संवाद-लेखन, परिभाषा, प्रारूप, प्रकार, गुण, उदाहरण

पाठ 14: संवाद-लेखन

संवाद लेखन की परिभाषा

संवाद – ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘संवाद’ शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बातचीत’ है। इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। सामान्य रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है।

संवाद लेखन की विशेषताएं

स्वाभाविकता- संवाद में स्वाभाविकता होनी चाहिए। पात्रों की अपनी स्थिति, संस्कार आदि को ध्यान में रखकर बोलना चाहिए।

पात्रानुकूल भाषा- संवाद में भाग ले रहे छात्रों की भाषा उनकी शिक्षा आयु आदि के अनुरूप होनी चाहिए। एक शिक्षित और उसके साथ संवाद कर रहे अनपढ़ की भाषा में अंतर नज़र आना चाहिए।

प्रभावीशैली- संवाद को बोलने की शैली प्रभावशाली होनी चाहिए। सुनने वाले पर संवादों का असर होना चाहिए।

जटिलता से दूर- संवाद की भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए। इससे सुनने वाला बात को आसानी से समझ सकता है और यथोचित जवाब देता है।

शालीनता- संवाद की भाषा में शालीनता अवश्य होनी चाहिए। इसमें अशिष्ट भाषा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

संवाद लेखन का प्रारूप

हर प्रवक्ता के लिए नया संवाद-

प्रत्येक वक्ता को एक नया अनुच्छेद मिलता है, हर बार एक वक्ता कुछ कहता है, जिसे आपको एक नए अनुच्छेद में रखना होता है, भले ही वह सिर्फ एक शब्द हो ।

विराम चिह्न उद्धरण चिह्नों के अंतर्गत आते हैं।

संवाद के साथ उपयोग किए जाने वाले सभी विराम चिह्नों को उद्धरण के तहत रखा जाना चाहिए।

यदि पैरा लंबा है, तो उद्धरण समाप्त करें यदि संवाद का पैराग्राफ बहुत लंबा है और आपको पैराग्राफ को बदलने की आवश्यकता है, तो अंतिम उद्धरण डालने की कोई आवश्यकता नहीं है।

संवाद टैग

संवाद टैग अर्थात वह कहता है / वह हमेशा संवाद के बाहर लिखा जाता है और एक अल्पविराम द्वारा अलग किया जाता है। जब बातचीत एक प्रश्न या विस्मयादिबोधक चिह्न में समाप्त होती है, तो निम्न मामलों में शुरू होने वाले टैग ।

उदाहरण के लिए वे कहते हैं, “हमें अपना व्यवसाय शुरू करना चाहिए।“

संवाद के प्रकार

सामान्य संवाद।

औपचारिक कार्य व्यापार के लिए संवाद।

विचार व्यक्त करने वाले संवाद।

भावनाएं व्यक्त करने वाली संवाद।

संवाद लेखन के चार गुण होते हैं-

हर संवाद में छिपी होती है एक कहानी

कोई श्रोता या दर्शक वही सुनना व देखना चाहता है, जिसका कोई अर्थ निकलता हो। यानी जानकारियों में भी कहानी छुपी हो। इससे जो भी संवाद किया जा रहा है, वह लोगों तक सहजता से पहुंच जाता है।

संवाद की तैयारी पहले करें -

पहले तैयारी से परिस्थितियों को पहले से समझने में मदद मिलती है। इससे आपकी जानकारी की पुष्टि होती है। यह सुनिश्चित करता है कि जानकारी ऊंचे मापदंडों के अनुरूप है।

भावयुक्त संवाद स्थापित होना

एक कुशल वक्ता असर पैदा करने और बात मनवाने के लिए अध्ययन, प्रयास और संवाद का सहारा लेते है।दर्शकों की जरूरतो की ही बात करें। विश्वसनीयता स्थापित करें। संवाद दिखना चाहिए और वह हर प्रकार से श्रेष्ठ हो ।

संक्षिप्त संवाद करें-

कम से कम शब्दों से ज्यादा कहना संक्षिप्त संवाद की पहचान है। एक श्रेष्ठ वक्ता वाक्य का प्रयोग नहीं करेगा, जहां एक शब्द से काम चल सकता है।

संवाद लेखन के उदाहरण

दो विद्यार्वियों के बीच दूरदर्शन की उपयोगिता पर संवाद

राम- आजकल जिसे भी देखो, टी. वी. से चिपका रहता है।

श्याम- यह ठीक है कि टी. वी. पर कई उपयोगी एवं मनोरंजक कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। पर कई विदेशी – चैनल अश्लील कार्यक्रम भी दिखा रहे हैं।

राम- इन कार्यक्रमों को देखकर हमारी युवा पीढ़ी गलत दिशा में जा रही है।

श्याम- इस प्रवृत्ति पर रोक लगानी आवश्यक है ।

राम- पर इस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है?

श्याम- सरकार को ‘दूरदर्शन नियंत्रण बोर्ड बनाना चाहिए। बोर्ड की स्वीकृति के बाद ही कार्यक्रम प्रसारित किया जाना चाहिए।

राम- वह तो ठीक है, पर समाज को भी तो कुछ करना चाहिए

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