पाठ 1

 अपठित  गद्यांश

अपठित गद्यांश का् मुख्य उद्देश्य

अपठित का अर्थ होता है ‘जो पढ़ा नहीं गया हो’। यह पाठ्यक्रम के बाहर से लिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों की काव्य संबंधी समझ का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु, अलंकार, भाषिक योग्यता संबंधी समझ की परख की जाती है।

ध्यान देने योग्य बातें एवं विधि

  • दिए गए गद्यांश को कम से कम दो-तीन बार ध्यान से पढ़ना चाहिए।
  • गद्यांश पढ़ते समय मुख्य बातों को रेखांकित कर देना चाहिए।
  • गद्यांश के उत्तर एकदम सरल भाषा में लिखने चाहिए।
  • उत्तर अपनी भाषा में सरल, संक्षिप्त व सहज लिखने चाहिए।
  • प्रश्नों के उत्तर गद्यांश में से हीं तथा कम-से-कम शब्दों में देने चाहिए।
  • उत्तर में जितना पूछा जाए केवल उतना हीं लिखना चाहिए। अर्थात, उत्तर प्रसंग के अनुसार होना चाहिए।
  • मूलभाव के आधार पर शीर्षक लिखना चाहिए।

शीर्षक का चुनाव

  • शीर्षक मूल विषय से संबंधित होना चाहिए।
  • शीर्षक संक्षिप्त, आकर्षक तथा सार्थक होना चाहिए।
  • शीर्षक में अनुच्छेद से संबंधित सारी बातें आ जानी चाहिए।
  • शीर्षक का व्याप मूल विषय से अधिक नहीं होना चाहिए।

उदहारण

आज की भारतीय शिक्षित नारी को गृहणी के रूप में न देख पाना पुरूषों की एकांगी दृष्टि का परिणाम है । विवाह के बाद बदली हुई उनकी मनः स्थिति तथा परिस्थितियों की कठिनाइयों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उसकी रूचियों और भावनाओं की उपेक्षा की जाती है। पुरूष यदि अपने सुख के साथ पत्नी के सुख का ध्यान रखे, तो वह अच्छी गृहणी हो सकती है। पत्नी और पति दोनों का कर्तव्य है कि वे एक-दूसरे के कार्य में हाथ बँटाएँ और एक-दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और रूचियों का ध्यान रखें। आखिर नारी भी तो मनुष्य है। उसकी अपनी जरूरतें भी हैं और वह भी परिवार में, पड़ोस तथा समाज में सम्मान पाना चाहती है। यदि नारी त्याग की मूर्ति है, तो पुरुष को बलिदानी होना चाहिए।