कामचोर (कहानी)

पाठ 10 कामचोर

पाठ का सार 

इस कहानी द्वारा लेखिका यह बताती है कि किसी कामचोर बच्चे से काम कराने से पहले सही तरीके से उसे काम करना सीखना चाहिए नहीं तो सब उल्टा-पुलटा हो जाता है। प्रस्तुत पाठ ‘कामचोर’ में भी जब बच्चों को घर के कुछ काम जैसे गन्दी दरी को झाड़ कर साफ करना, आँगन में पड़े कूड़े को साफ़ करना, पेड़ों में पानी देना आदि बताए गए और कहा गया कि अगर वे यह सब काम करेंगे तो उन्हें कुछ-न-कुछ ईनाम के तौर पर मिलेगा। ईनाम के लालच में बच्चों ने घर के काम करने की ठान ली।

परन्तु बच्चों ने जब कोई भी कोई भी काम करना शुरू किया किसी भी काम को सही से खत्म करने के बजाए उन्होंने सारे कामों को और ज्यादा ख़राब कर दिया। जिससे घर के सभी सदस्य परेशान हो गए और बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया और कहा कि अगर अब किसी भी बच्चे ने घर के किसी भी सामान को हाथ लगाया तो उन्हें रात का खाना नहीं मिलेगा। इस पर बच्चों को समझ नहीं आ रहा था कि घर वाले न तो उन्हें काम करने देते हैं और न ही बैठे रहने देते हैं। लेखिका के अनुसार ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घर वालों ने बच्चों को काम तो बता दिए थे परन्तु काम करने का सही तरीका नहीं समझाया था। इसलिए काम समझना पहले ज़रूरी है।

कहानी का अर्थ -

मुंशी प्रेमचन्द के अनुसार, “कहानी (गल्प) एक रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चरित्र, उसकी शैली तथा कथा - विन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं।

कठिन शःब्द अर्थ

  • ऊधम – मस्ती
  • ख्याल – सोच
  • दबैल – दब्बू
  • घमासान – भयानक
  • हरगिज – बिलकुल
  • फरमान – राजाज्ञा
  • दुहाई – कसम
  • सींके – तीलियाँ
  • उलटे-सीधे – सही गलत
  • कामदानी – जिस पर कढ़ाई की गई हो
  • लुथड़े – सने
  • मोरी – नाली
  • बेनकेल – बिना नकेल

Related Chapter Name