पानी की कहानी (निबंध)

पाठ -16 पानी की कहानी

लेखक रामचंद्र तिवारी इस लेख में ओस की बूँद को ज़रिया बनाया है कि किस तरह से पानी का रूप होता है? उसकी किस तरह से रचना होती है? उनमें कौन-कौन से तत्व शामिल होते हैं? यही सब पाठ में बताया गया है। पानी के जीवन का एक चक्र होता है। समुद्र का पानी सूर्य की किरणों से गर्म होकर भाप बनता है। और भाप बादल बन जाता है। यही सब क्रिया के बारे में आप विज्ञान के अध्यायों में पढ़ते हैं कि पानी के जीवन का एक चक्र होता है। किस तरह से समुद्र का पानी भाप बनकर सूर्य की गर्मी के कारण गर्म होकर भाप बन जाता है? और वाष्प बादल बन जाता है। ऊपर आसमान में जाकर काफी ऊँचाई पर पहुँच जाने पर वह बादल का रूप ले लेता है। और जब बादल बरसते है तो कुछ पानी धरती में रिस जाने के कारण उसमें चला जाता है और कुछ नदी-नालों में बह जाता है। नदियों का पानी फिर समुद्र में मिल जाता है। इस प्रकार पानी का यह चक्र चलता रहता है। किस तरह से पानी सूर्य की गर्मी के कारण वाष्प बन गया, फिर बादल बन गया, बादल के अंदर जब ज्यादा मात्रा में इकट्ठा हो जाता है तो फिर वह वर्षा बनकर धरती पर बरस पड़ता है और पानी कहाँ-कहाँ गुजरता है? कभी वह नदियों में मिल जाता है, फिर समुद्र में मिल जाता है, इस तरह से यह पानी का चक्र चलता रहता है।

पानी की कहानी पाठ सार

“पानी की कहानी” में एक ओस की बून्द अपनी रक्षा के लिए बेर के पेड़ पर से लेखक की हथेली पर कूद जाती है और उसे अपनी कहानी सुनाना शुरू करती है। ओस की बूँद कहती है कि अरबों वर्ष पहले ‘हाइड्रोजन’ और ’ऑक्सीजन’ के मिलने से उसका जन्म हुआ। जब पृथ्वी का तापमान घटा तो वह बर्फ के रूप में बदल गई और जब बर्फ का सामना गर्म धारा से हुआ तो वह पिघल कर समुद्र के पानी में मिल गई। समुद्र की गहराई की यात्रा करने की इच्छा ने उसे समुद्र की गहराई में ले लिया। वहाँ से वह ऊपर ना आ सकी और वह वही वर्षों तक समुद्र की चट्टानों से होते हुए ज़मीन में सहारे ज्वालामुखी तक पहुँच गई। वह से उसे तेज गति के साथ भाप की स्थिति में आकाश में भेज दिया गया और वहाँ आँधी में मिल जाना पड़ा और जब बहुत से वाष्प कण मिल गए तो भार अधिक होने के कारण वे बारिश के रूप में पहाड़ पर आ गिरी। पहाड़ पर से अपने साथियों के साथ तेज़ी से एक ऊँची जगह से नीचे गिरी और नीचे पत्थर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। वहां से समतल भूमि की तलाश में नदी की धारा के साथ बहते हुए कभी मिट्टी का कटान किया, तो कभी पेड़ों की जड़ों को खोखला कर के उनको गिरा दिया। अपनी जिज्ञासा के कारण कारखाने के नलों में कई दिनों तक फसे रहने के बाद भाग्य के साथ देने पर एक टूटे नल से बाहर निकल कर वापिस भूमि द्वारा सोख लेने पर बेर के पेड़ तक पहुँच गई। बेर के पेड़ की जड़ों के रोएँ द्वारा खींच लेने पर कई दिनों तक वहीं फसे रहने पर पत्तों के छोटे-छोटे छेदों के द्वारा बाहर निकल गई। रात होने के कारण वहीं सुबह का इन्तजार करती रही और सुबह लेखक को देख कर अपनी रक्षा की खातिर उसकी हथेली पर कूद पड़ी और सूरज के निकलते ही वापिस भाप बन कर उड़ गई।

 कठिन शब्द अर्थ -

ज्ञात – जानकारी/मालूम

त्रल – पदार्थ

मास – महीने

ठंडक – शीलतला

फलस्वरूप – उपरांत/उसके अलावा

दृश्य – नजारा

वर्णनातीत – जिसका वर्णन न किया जा सके

भीतर – अन्दर

प्रारंभ – शुरू

मार्ग – रास्ते

विचित्र-विचित्र – अजीब-अजीब

जीव – पानी के जीव-जन्तु

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