CHAPTER 14

नटखट चूहा 

कहानी का सारांश

एक बड़ा ही नटखट, शरारती तथा चालाक चूहा था। वह हमेशा कुछ-न-कुछ शरारत करता रहता था। एक दिन उसने सोचा-बारिश के कारण बिल में रहते बहुत दिन हो गए। आज मैं शहर जाऊँगा। यह सोचकर नटखट चूहा झटपट तैयार होकर शहर की तरफ़ चल पड़ा। रास्ते में उसे एक कपड़े की दुकान दिखाई पड़ी। वह चुपचाप दुकान के अंदर चला गया। दुकानदार ने जब चूहे को देखा तो उसने चूहे से पूछा कि वह उसकी दुकान में क्या कर रहा है। चूहे ने दुकानदार को बताया कि वह अपनी टोपी के लिए कुछ कपड़ा खरीदने आया है। दुकानदार ने कहा कि वह चूहे को कुछ भी नहीं बेचता। इस पर चूहा क्रोधित हो उठा तथा एक गीत गाने लगा

रातों रात मैं आऊँगा
अपनी सेना लाऊँगा
तेरे कपड़े कुतरूंगा।

 

यह सुनकर दुकानदार डर गया और उसने चूहे को रेशमी कपड़े का एक टुकड़ा दे दिया। कपड़े का टुकड़ा लेकर चूहा दर्जी की दुकान में जा पहुँचा। चूहे ने दर्जी को रेशमी कपड़ा दिया और एक अच्छी टोपी सिल देने को कहा। दर्जी ने चूहे को डाँटा और कहा कि इसके लिए उसके पास समय नहीं है। इस पर चूहा गुस्से में फिर वही गीत गाने लगा। इस पर दर्जी भी घबरा गया। उसने डर कर तुरंत चूहे के लिए एक सुंदर-सी टोपी तैयार कर दी। नटखट चूहे ने उस टोपी को पहना और आइने में अपने चेहरे को निहारा। यह टोपी तो एकदम सादी है। मैं इस पर चमकीले सितारे लगवाऊँगा-चूहे ने सोचा। चूहा कूदता-फाँदता एक छोटी-सी दुकान में पहुँचा, जहाँ सुनहरे तथा रुपहले सितारे बिक रहे थे। चूहे ने दुकानदार से कहा कि मैं अपनी टोपी के लिए सुनहरे और रुपहले सितारे खरीदने आया हूँ। इस पर दुकानदार ने क्रोधित होकर कहा कि यहाँ से भाग जाओ, मुझे बेवकूफ़ बनाने की कोशिश मत करो। इस पर चूहे ने गुस्से में इस वाक्य को दोहराया
रातों-रात मैं आऊँगा
अपनी सेना लाऊँगा 
सारे सितारे बिखेरूँगा

चूहे की इस धमकी से दुकानदार डर गया उसने चूहे से कहा कि वह उसकी टोपी में रंग-बिरंगे सितारे टाँक देगा। जब टोपी तैयार हो गई तो चूहे ने टोपी पहनकर खुद को आइने के सामने निहारा। उसने सोचा -मैं किसी राजा से कम नहीं लग रहा। चलकर अपनी चमकीली टोपी राजा को दिखाता हूँ। चूहा राजा के पास जा पहुँचा। उसने राजा से पूछा कि वह कैसा लग रहा है। इस पर राजा ने उत्तर दिया-वाह! तुम तो एकदम राजकुमार लग रहे हो। इस पर चूहा झटपट बोला-अच्छा, तो फिर उतरो सिंहासन से। यहाँ मैं बैठेंगा। यह सुनकर राजा चूहे पर हँसी। उसने चूहे से भाग जाने को कहा। उसने कहा कि यह सिंहासन चूहे के लिए नहीं है। केवल राजा ही इस पर बैठ सकता है। इस पर चूहे ने कहा

रातों-रात मैं आऊँगा।
अपनी सेना लाऊँगा
तेरे कान कुतरूंगा।

यह सुनकर राजा डर से काँपने लगा। उसने सोचा, चूहों की फ़ौज तो पूरे महल को तहस-नहस कर देगी। भयवश उसने चूहे को सिंहासन पर बैठने की अनुमति दे दी। चूहा काफी देर तक सिंहासन पर बैठा रहा। फिर खुशी-खुशी घर की ओर चल पड़ा। उसने अपनी चमकीली टोपी अपने सभी साथियों को दिखाई। उसके सभी साथी उसकी कहानी सुनना चाहते थे।

शब्दार्थ: नटखट-चंचल। झटपट-जल्दी, तुरंत।
दर्जी - कपड़े सीने वाला।
आइना - दर्पण, शीशा।
सुनहरा - सोने के रंग का।
रुपहला - चाँदी के रंग का।
सितारे - तारे। निहारना - देखना।
सरपट - बहुत तेज़ी से चलना।
सिंहासन - राजाओं का श्रेष्ठ आसन, राजगद्दी।
फ़ौज-सेना।