CHAPTER 9
बुलबुल 

पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ में बुलबुल चिड़िया के विषय में जानकरी दी गई है। इसमें बताया गया है कि बुलबुल की पहचान हम कैसे कर सकते हैं। जो चिड़िया काफी तेज आवाज़ में बोलती है और उसकी पूँछ के नीचे वाली जगह लाल होती है, तो समझना चाहिए कि वह चिड़िया बुलबुल है। बुलबुल की पूँछ के सिरे का रंग सफेद होता है। उसका बाकी शरीर भूरा और सिर का रंग काला होता है। बुलबुल तेज आवाज़ में बोलती है तथा उसे मनुष्य से बिलकुल ही डर नहीं लगता। किसी-किसी बुलबुल के सिर पर काले रंग की कलँगी होती है। उसे ‘सपाही’ बुलबुल कहते हैं। बुलबुल पीपल या बरगद के पेड़ पर कीड़े ढूंढकर खाती है तथा सब्ज़ी और फल भी खाती है। वह अमरूद या मटर के खेत पर हमला भी करती है। बुलबुल अपना घोंसला सूखी हुई घास तथा छोटे पौधों की पतली जड़ों से बनाती है। उसका घोंसला एक सुंदर कटोरे के जैसा दिखता है। बुलबुल एक बार में दो या तीन अंडे देती है। उसके अंडे हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इन अंडों व ध्यान से देखने पर कुछ लाल, कुछ भूरी और कुछ बैंगनी बिंदिया दिखाई देती है।

शब्दार्थ:  सिरा – अंतिम भाग। 
भूरा –       मिटटी के रंग का।
कलँगी –  कछ पक्षियों के
सुंदर पंख या इस तरह के गुच्छे जो टोपी, पगड़ी आदि में लगाए जाते हैं।
कटोरा –   नीची दीवार और चौड़े पेंदे का एक छोटा बर्तन।