लेखक परिचय, रचनाएँ, शब्दार्थ, स्पष्टीकरण
- Books Name
- Hindi ki pathshala HIndi Course B Book
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 9
- Subject
- Hindi
पाठ -3
कुल्लू कुम्हार की उनाकोटी
के. विक्रम सिंह (1960)
लेखक परिचय
एक साधारण किसान परिवार में इनका जन्म हुआ था। बाल्यकाल से लेकर प्रशासनिक सेवा के उच्चतर दायित्वों के निर्वाह तक डॉ. विक्रम सिंह अपने जीवन और लेखन के हर पड़ाव पर गहन श्रमशीलता और कर्मठता का पाठ रचते दिखाई देते हैं। देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा विक्रम सिंह को सम्मानित किया जा चुका है।
रचना कार्य
अपने नाम पर दर्ज तमाम महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद जड़ और ज़मीन से एक निरंतर गहरा जुड़ाव विक्रम सिंह जी के विपुल रचना-कर्म में दिखाई देता है, जो कविता, कहानी, नाटक, यात्रा वृत्तांत, निबंध, आलोचना जैसी अनेक विधाओं में फैला हुआ है। अभी तक विभिन्न विधाओं में आपकी सत्रह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और अनेक प्रकाशनाधीन हैं। ‘समय की सिलवटों से झाँकता इतिहास’, ‘सूरजः चाँदनी रात में’, ‘ताजमहल से टावरब्रिज’ और ‘नॉर्वेः द चैंपियन ऑफ़ वर्ल्ड पीस’ आपके बहुचर्चित और पुरस्कृत यात्रा वृत्तांत हैं।
पाठ -प्रवेश
प्रस्तुत पाठ में लेखक के. विक्रम सिंह हमें अपने उनाकोटी की यात्रा के बारे में बता रहा है।
लेखक पहले तो अपने बारे में बताता है कि वह किस तरह दूसरों से अलग है और फिर एक दिन लेखक को दिल्ली की एक सुबह के भयानक मौसम को देख कर अचानक उनाकोटी की याद आ गई थी। लेखक ने बहुत ही अद्भुत तरीके से इस पाठ में अपनी पूरी यात्रा का वर्णन किया है। लेखक उनाकोटी क्यों गया था? उनाकोटी तक पहुँचाने तक लेखक को किन-किन समस्यायों का सामना करना पड़ा था?, लेखक किन-किन लोगों से मिला?, उनाकोटी के बारे में लेखक को क्या पता चला? और इस पाठ के शीर्षक कल्लू कुमार के बारे में लेखक को क्या पता चला? इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पाठ को पढ़ कर हम अच्छे से जान पाएँगे।
शब्दार्थ
- अलसायी– आलस से भरी
- सोहबत– संगति
- ऊर्जादायी- शक्ति देने वाली
- खलल– बाधा
- कानफाडू– कानों को फाड़ने वाला
- शुक्र– मेहरबानी
- विक्षिप्तों– पागलों
- तड़ित– बिजली
- अल्लसुबह- बिलकुल सुबह
- मुहैया- उपलब्ध
- आवक– आगमन
- इर्द-गिर्द– आस-पास
- खासी- बहुत
- हस्तांतरण– एक व्यक्ति के हाथ से दूसरे के हाथ में जाना
- प्रतीकित– अभिव्यक्त करना
- मुँहजोर– मुँहफट
- आश्वस्त– विश्वाश से पूर्ण
- इरादतन– सोच-विचार कर