लेखक परिचय, रचनाएँ, शब्दार्थ, स्पष्टीकरण

पाठ -2

स्मृति

श्रीराम शर्मा (1896-1967)

लेखक परिचय

प्रस्तुत पाठ या संस्मरण के लेखक श्रीराम शर्मा जी हैं । इनका जीवनकाल 1896 से 1967 तक रहा । शुरुआती दौर में अध्यापन कार्य करने के पश्चात् स्वतंत्र रूप से लम्बे समय तक राष्ट्र और साहित्य सेवा में जुटे रहे । श्रीराम शर्मा जी हिन्दी में ‘शिकार साहित्य’ के अग्रणी लेखक माने गए । इन्होंने ‘विशाल भारत’ के सम्पादक के रूप में विशेष ख्याति हासिल की।
श्रीराम शर्मा जी प्रमुख रचनाएँ हैं --- शिकार, बोलती प्रतिमा तथा जंगल के जीव (शिकार संबंधी पुस्तकें), सेवाग्राम की डायरी एवं सन् बयालीस के संस्मरण इत्यादि... ||

पाठ प्रवेश

इस पाठ में लेखक अपने बचपन की उस घटना का वर्णन करता है जब वह केवल ग्यारह साल का था और उसके बड़े भाई ने उससे कुछ महत्वपूर्ण चिठ्ठियों को डाकघर में डालने के लिए भेजा था और उसने गलती से वो चिट्ठियाँ एक पुराने कुएँ में गिरा दी थी।

उन चिठियों को उस कुएँ से निकालने में लेखक को क्या-क्या कठिनाइयाँ हुई ।उन सभी का जिक्र लेखक ने यहाँ किया है। लेखक यहाँ यह भी समझाना चाहता है कि बचपन के वो दिन कितने ख़ास थे और वो उन दिनों को बहुत याद करता है ।

शब्दार्थ

  • परिधि – घेरा
  • एकाग्रचित्तता – स्थिरचित्त
  • सूझ - उपाय
  • चक्षुःश्रवा – आँखों से सुनने वाला
  • पैंतरों –   स्थिति
  • अवलंबन –  सहारा
  • कायल – मानने वाला
  • गुंजल्क – गुत्थी
  • ताकीद - बार-बार चेताने की क्रिया
  • डैने  –  पंख
  • चिल्ला जाड़ा – बहुत अधिक ठण्ड
  • मज्जा – हड्डी के भीतर भरा मुलायम पदार्थ
  • ठिठुर - काँपना
  • झूरे – तोड़ना
  • मूक - मौन
  • प्रसन्नवदन – प्रसन्न चेहरा
  • किलोले - क्रीड़ा
  • प्रवृत्ति - मन का किसी विषय की ओर झुकाव
  • मृगशावक – हिरन का बच्चा
  • दाढ़ें- ज़ोर - ज़ोर से रोना
  • कपोलों पर - गालों पर
  • दुधारी - दो तरफ से धार वाली