- Books Name
- वसंत भाग - २ विवेचन
- Publication
- DMinors publication
- Course
- CBSE Class 7
- Subject
- Hindi Literature
पाठ 3 हिमालय की बेटियां
नदियों का ज्ञान
हिमालय की नदियाँ हिमालय पर्वत श्रृंखला से उत्पन्न हुई हैं। भारत को नदियों की भूमि के रूप में पहचाना और स्वीकार किया जाता है। उबड़-खाबड़ इलाकों और भरपूर घास के मैदानों के साथ भारतीय मुख्य भूमि को संतृप्त करने वाली कई नदियाँ हैं। देश में हर जगह नदियाँ बहती हैं जो अपने रास्ते बहते हुए और अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। दक्षिण भारत और पश्चिमी भारत को कुछ हद तक छोड़ दें, तो देश में नदियाँ ज्यादातर बर्फीले हिमालय से निकलती हैं। हिमालय पर्वतमाला का भूगोल, स्थलाकृति और जलवायु मिलकर पहाड़ों के बीच में कुछ नदियों के उद्गम को प्रभावित करते हैं, जो पूर्व-निर्धारित प्रवाह में बहती हैं। हिमालय की नदियाँ भारत में विशेष महत्व रखती हैं, क्योंकि उनकी साल भर सूखी भूमि की सिंचाई करने की क्षमता होती है। वे वनस्पति की सुविधा प्रदान करती हैं और फलस्वरूप देश में खाद्य सुरक्षा का निर्माण करती हैं। प्रमुख हिमालयी नदियाँ प्रमुख हिमालयी नदियाँ सिंधु नदी, प्रसिद्ध गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी शामिल हैं। ये नदियाँ प्राकृतिक रूप से हिमपात और वर्षा दोनों पर निर्भर हैं और इसलिए पूरे वर्ष भर बहती रहती हैं। हिमालय पर्वतमाला में अपनी उत्पत्ति और बहाव को निर्धारित करने वाली माहिमालयी नदियों में सतलुज नदी, चिनाब नदी या चंद्रभागा नदी, ब्यास नदी, रावी नदी, झेलम नदी, यमुना नदी, गंगा नदी और स्पीति नदी शामिल हैं।हिमालय की नदियाँ अपने प्रवाह का लगभग 70 प्रतिशत समुद्र में बहा देती हैं। हालांकि इसमें मध्य भारतीय नदियों से लगभग 5 प्रतिशत निर्वहन शामिल है। अन्त में ये नदियाँ गंगा में मिल जाती हैं और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती हैं। बीच-बीच में हिमालय की नदियों का मार्ग बदल जाता है हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अलग हो जाती हैं और आगे सहायक नदियों और वितरिकाओं में विभाजित हो जाती हैं। उदाहरण के लिए यमुना नदी गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी के रूप में कार्य करती है। हिमालय की नदियाँ अपने अंतर्वाह के समय विशाल घाटियों का रूप ले लेती हैं। मैदानों तक पहुँचते हुए, नदियाँ बाढ़ के मैदानों, नदी की चट्टानों और नालों जैसी निक्षेपण सुविधाओं का रूप ले लेती हैं। हिमालय की लगभग सभी नदियाँ विशाल मैदान बनाती हैं और अपने पथ की लंबी दूरी पर नौगम्य हैं। हिमालयी नदियों की उपयोगिता अतिप्रवाह के साथ भारत में वैज्ञानिक और भूगोलवेत्ता हिमालयी नदियों को आस-पास के भारतीय राज्यों और आसपास के क्षेत्रों में उपयोगी बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। जलविद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों को उनके अपस्ट्रीम जलग्रहण क्षेत्र में उपयोग किया जाता है।
पाठ का सार - यह निबंध नागार्जुन द्वारा लिखा गया है जिसमे उन्होंने हिमालय और उससे निकलने वाली नदियों के बारे में बताया है हिमालय से गंगा ,सतलुज ,यमुना के प्रकार की नदिया निकलती है जिनका स्वभाव लेखक को शांत लगता है परन्तु जब इन नदियों को हिमालय के कंधे पे चढ़कर उन्होंने देखा तो उन्हें यह पतली दिखाए दी जो समतल मैदानों में बड़ी दिखाए देती है।
लेखक को इन नदियों की बाल लीलाये देखकर हैरानी होती है की हिमालय की इन बेटियों का न जाने कौन सा लक्ष्य है जो यह इतनी बेचैन होकर बह रही है ये नदिया बर्फ की पहाड़ियों , घाटियों और चोटियों पे लीलाये करती है। लेखक को लगता है की देवदार , चीड़ , सरसों ,चिनार आदि सब जंगलों से बहती हुए उन्हें अपनी बातें याद आती होंगी।
सिंधु और ब्रहापुत्र ये दो महा नदिया हिमालय से निकलकर समुद्र में मिल जाती है। हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में भी उन्हें कोई हर्ज़ नहींहै। कालिदास के यक्ष ने अपने मेघदूत में कहा था की बेतवा नदी को प्रेम का विनिमय देते जाना जिससे पता चलता है की कालिदास जैसे महान कवी को नदियों का सजीव रूप पसंद था।
काका कालेलकर ने भी नदियों को अपनी लोकमाता कहा है लेकिन लेखक इनके बेटियों का रूप देखते है के कवियों ने इन्हे बहनो के रूप में लिया है। लेखक तिब्बत में सतलुज के किनारे पैर लटकाकर बैठने से इससे काफी प्रभाभित हो गए।
कठिन शब्द अर्थ
- संभ्रांत - सभ्य
- श्रद्धा - आदर
- अधियताये ,समतल - एक जैसा भूमि का भाग
- विराट - बड़ा
- विस्मय - हैरानी
- कौतुहल - उत्साह
- निकेतन - घर
- अतृप्त - असंतुष्ट
- मौन - शांत
- श्रेय - मौका
- विरही - दुःख
- सचेतन - सजीव रूप
- प्रगतिशील - बहता हुआ
- उपत्यकाये - चोटिया
- मुदित - खुश
- नटी- कोई भूमिका निभाने वाली स्त्री
पाठ का अर्थ -
यह पाठ लेखक नागार्जुन ने लिखा है जिसमें उन्होंने हिमालय और उससे निकलने वाली नदियों के बारे में बताया है| हिमालय से बहने वाली गंगा, यमुना, सतलुज आदि नदियाँ दूर से लेखक को शांत, गंभीर दिखाई देती थीं| लेखक के मन में इनके प्रति श्रद्धा के भाव थे। ... लेखक को हिमालय की इन बेटियों की बाल-लीलाओं को देखकर आश्चर्य होता है।