CHAPTER 3

आम की टोकरी

कविता का सारांश
प्रस्तुत कविता ‘आम की टोकरी’ में सिर पर टोकरी रखकर आम बेचती एक छह साल की बच्ची के मनोभावों का बड़ा ही सुंदर चित्रण किया गया है। इस कविता के कवि रामकृष्ण शर्मा ‘खद्दर’ हैं। कवि कहता है कि एक छह साल की बच्ची टोकरी में आम रखकर बेच रही है, किंतु
उनका दाम नहीं बताती। वह आम से भरी टोकरी सबको दिखाकर अपने पास बुला रही है। वह लड़की सबको आम तो दे रही है, पर अपना नाम नहीं बता रही है। कवि कहता है कि अब हमें उस बच्ची का नाम नहीं पूछना। अब तो हमें केवल उसके रसीले आम चूसने हैं।

काव्यांशों की व्याख्या
छह साल की छोकरी.
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।

शब्दार्थ : छोकरी-लड़की।
टोकरी-छोटा डाला।
दाम-कीमत।

प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम भाग-1 में संकलित कविता ‘आम की टोकरी से ली गई हैं। यह कविता रामकृष्ण शर्मा खद्दर द्वारा रचित है। इसमें कवि ने आम बेचती एक छह साल की बच्ची के हाव-भाव तथा क्रियाकलापों का चित्रण वड़े ही सुंदर ढंग से किया है
व्याख्या – इन पंक्तियों में कवि कहता है कि एक छह साल की बच्ची टोकरी में आम भरकर बेच रही है। वह लड़की आम तो बेच रही है, किंतु दाम नहीं बता रही। कवि कहता है कि लड़की अपनी टोकरी को दिखा-दिखाकर हमें बुला रही है।
हमको देती आम है,  
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।

प्रसंग – पूर्ववत।
व्याख्या – उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि लड़की हम सबको आम देती है, किंतु अपना नाम नहीं बताती। तत्पश्चात कवि कहता है। कि हमें अब उस बच्ची से नाम नहीं पूछना, बल्कि केवल आम चूसना है।