CHAPTER 19

चार चने 

कविता का सारांश
चार चनेकविता के रचयिता निरंकारदेव सेवक हैं। इस कविता में कवि ने यह बताया है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह क्या करता। कवि कहता है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह चार चने लाता। उनमें से एक चना वे तोते को खिलाते। चना खाते ही तोता टाँय-टॉय गाता और उन्हें बड़ा मज़ा आता। कवि फिर कहता है कि उसके पास यदि पैसे होते तो वह चार चने लाता। उनमें से एक चना वह घोड़े को खिलाता। इससे घोड़ा उन्हें पीठ पर बैठाता और उसे बड़ा मज़ा आता। अंत में, कवि पुन: कहता है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह चार चने लाता और एक चना चूहे को खिलाता। चूहा जब चना खाता तो उसका दाँत टूट जाता और उन्हें बड़ा मज़ा आता।

काव्यांशों की व्याख्या
पैसा पास होता तो चार चने लाते, ​​ 
चार में से एक चना तोते को खिलाते।
तोते को खिलाते तो टाँय-टाँय गाता,
टाँय-टाँय गाता तो बड़ा मज़ा आता।

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘चार चने’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने यह इच्छा जताई है कि उसके पास यदि पैसे होते तो वह क्या करता।
व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि कहता है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह चार चने लाता। चार में से एक चना वह अपने तोते को खिलाता। चना खाते ही तोता टाँय-टाँय गाने लगता और उन्हें बड़ा मज़ा आता।

 

पैसा पास होता तो चार चने लाते,
चार में से एक चना घोड़े को खिलाते।

घोड़े को खिलाते तो पीठ पर बिठाता,
पीठ पर बिठाता तो बड़ा मज़ा आता।

प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या: उपर्युक्त पंक्तियों में कवि कहता है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह चार चने लाता। उन चार चनों में से एक चना वह अपने घोड़े को खिलाता। जब घोड़ा चना खाता तो उसे पीठ पर बैठाता और उसे बड़ा मज़ा आता।





 

पैसा पास होता तो चार चने लाते,
चार में से एक चना चूहे को खिलाते।
चूहे को खिलाते तो दाँत टूट जाता,
दाँत टूट जाता तो बड़ा मज़ा आता।

प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि उसके पास यदि पैसे होते तो वह चार चने लाता। चार में से एक चना वह चूहे को खिलाता। चूहा चना खाता तो उसके दाँत टूट जाते। इससे कवि को बहुत मज़ा आता।