- Books Name
- Rimjhim NCERT Explanation Hindi Book
- Publication
- AS Publication
- Course
- Class 1
- Subject
- Hindi
CHAPTER 11
पतंग
कविता का सारांश
‘पतंग’ कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में कवि ने पतंग के गुणों को बताया है। कवि कहता है कि पतंग आसमान में सर-सर सर-सर, फर-फर फर-फर करके उड़ती है। एक पतंग दूसरी पतंग को काटती हुई आकाश में खूब सैर-सपाटा करती है। पतंगें एक-दूसरे से लड़ती हैं और फिर कटकर लुट जाती हैं। सर-सर, फर-फर करती पतंग आसमान में उड़ान भरती है।
काव्यांशों की व्याख्या
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग,
फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।
इसको काटा, उसको काटा,
खूब लगाया सैर सपाटा।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक रिमझिम, भाग-1 में संकलित कविता ‘पतंग’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सोहनलाल द्विवेदी हैं। इसमें कवि ने पतंग की विशेषताओं का वर्णन बड़े ही रोचक शब्दों में किया है।
व्याख्या : आकाश में सर-सर, फर-फर करती पतंग उड़ रही है। सभी पतंगें एक-दूसरे को काटती हुई आकाश में खूब सैर-सपाटा करती हैं।
अब लड़ने में जुटी पतंग,
अरे कट गई, लुटी पतंग।
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग,
फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।
प्रसंग: पूर्ववत।
व्याख्या : आकाश में उड़ती पतंगें एक-दूसरे से लड़ने में जुट गई हैं। जैसे ही पतंग कटती है, बच्चे उसे लूटने के लिए दौड़ पड़ते हैं। फिर आकाश में सर-सर, फर-फर करती पतंग उड़ती फिरती है।