पाठ -5

 दिए जल उठे

मधुकर उपाध्याय  –1956

लेखक परिचय

प्रस्तुत पाठ मधुकर उपाध्याय जी के द्वारा लिखित है। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा अयोध्या से पूर्ण हुई। इन्होंने अवध विश्वविद्यालय से विज्ञान संकाय में स्नातक की डिग्री ली | तत्पश्चात् इन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा हासिल किया। पत्रकारिता और साहित्य के साथ-साथ उनकी गहरी दिलचस्पी कार्टून विद्या और रेखांकन में भी है।
महात्मा गांधी के चर्चित दांडी यात्रा ने लेखक को ख़ूब प्रेरित किया। जिसके परिणामस्वरूप लेखक ने भी 400 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की। आज़ादी की पचासवीं वर्षगाँठ पर उनकी पुस्तक ‘पचास दिन, पचास साल’ बहुत सुर्खियों में रही लेखक उपाध्याय जी की पुस्तक ‘किस्सा पांडे सिताराम सूबेदार’ को भी बेहद पसंद किया गया|

पाठ प्रवेश

‘दिए जल उठे’ नामक इस पाठ में लेखक गाँधी जी द्वारा नमक कानून तोड़ने की यात्रा के पूर्व की गई तैयारी का वर्णन कर रहा है। इस पाठ में लेखक हमें बताना चाहता है कि गाँधी जी के अलावा भी कई नेता थे जिन्होंने दांडी कूच में योगदान दिया था। दांडी कूच में सभी सत्याग्रहियों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? कैसे सभी ने मिलकर सभी कठिनाइयों का सूझ-बुझ के साथ निवारण किया? लेखक इस पाठ में इन्ही सभी बातों पर प्रकाश डाला है।

शब्दार्थ

  • स्वाभाविक - प्राकृतिक
  • आधिपत्य - अधिकार
  • पुश्तैनी - पीढियो से चली आ रही
  • आशंका - संदेह, शक
  • बयार – हवा
  • स्वराज अपना राज्य
  • निर्धारित - निश्चित
  • स्थगित – टालना
  • कुशासन – गलत शासन
  • संहार – नाश
  • प्रतिक्रिया – बदला,
  • भर्त्सना – निंदा, प्रतिकार
  • अभिव्यक्ति – प्रकट करना
  • नजीर - उदाहरण
  • गंभीर - भयानक, खतरनाक
  • तहत – अनुसार
  • अगुवाई – नेतृत्व
  • आश्वस्त - विश्वास
  • प्रतिध्वनि – किसी शब्द के उपरान्त सुनाई पड़ने वाला उसी से उत्पन्न शब्द, गूँज
  • भिन्न – अलग
  • संभवत – मुमकिन है
  • विश्राम – आराम
  • आबादी – जनसंख्या
  • मुखी और तलाटी – गंदगी पर मक्खी की तरह तुच्छ, मूल्यहीन
  • लज्जा – शर्म