- Books Name
- वसंत भाग - ३ का संशोधित रूप
- Publication
- DMinors publication
- Course
- CBSE Class 8
- Subject
- Hindi
पाठ 7 क्या निराश हुआ जाए
लेखक ने इस लेख का शीर्षक 'क्या निराश हुआ जाए' उचित रखा है क्योंकि यह उस सत्य को उजागर करता है जो हम अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। अगर हम एक-दो बार धोखा खाने पर यही सोचते रहें कि इस संसार में ईमानदार लोगों की कमी हो गयी है तो यह सही नहीं होगा। आज भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी ईमानदारी को बरकरार रखा है।इसमें नौजवान , ड्राइवर , कंडक्टर , बच्चे ,डाकू , रविवद्रनाथ जी का गीत।
निबंध - निबंध गद्य रचना को कहते है जिसमे किसी विषय का वर्णन किया गया हो निबंध के माध्यम से लेखक उस विषय के बारे में अपने विचारों भावों को बड़े प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कोशिश करता है।
पाठ का सार -लेखक आज के समय में फैले हुए डकैती ,चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार से बहुत दुखी है। आजकल का समाचार पत्र आदमी को आदमी पर विश्वास करने से रोकता है। लेखक के अनुसार जिस स्वतंत्र भारत का स्वप्न गांधी, तिलक, टैगोर ने देखा था यह भारत अब उनके स्वप्नों का भारत नहीं रहा। आज के समय में ईमानदारी से कमाने वाले भूखे रह रहे हैं और धोखा धड़ी करने वाले राज कर रहे हैं। लेखक के अनुसार भारतीय हमेशा ही संतोषी प्रवृति के रहें हैं। वे कहते हैं आम आदमी की मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कानून बनाए गए हैं किन्तु आज लोग ईमानदार नहीं रहे। भारत में कानून को धर्म माना गया है, किन्तु आज भी कानून से ऊँचा धर्म माना गया है शायद इसी लिय आज भी लोगों में ईमानदारी, सच्चाई है। लेखक को यह सोचकर अच्छा लगता है कि अभी भी लोगों में इंसानियत बाकी है उदहारण के लिए वेबस और रेलवे स्टेशन पर हुई घटना की बात बताते हैं।अपने पहले उदाहरण में वो बताते हैं कि एक बार उन्होंने रेलवे टिकट लेने के लिए गलती से 10 की जगह 100 का नोट टिकट बाबू को दे दिया। गाड़ी चलने वाली थी। इसलिए वो जल्दी आ कर गाड़ी में बैठ गए। लेकिन कुछ देर बाद टिकट बाबू उन्हें ढूंढते हुए आया और मांफी मांगते हुए उन्हें 90 रूपये वापस दे गया। तब उसके चेहरे पर आत्म संतोष साफ़ झलक रहा था।
दूसरे उदाहरण में वो कहते हैं कि एक बार वह अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ यात्रा कर रहे थे। अचानक बस एक सुनसान जंगल में खराब हो गई। और बस के रूकते ही बस का कंडक्टर एक साइकिल लेकर निकल पड़ा। तभी किसी व्यक्ति ने बताया कि इस रास्ते में दो दिन पहले ही एक बस को डकैतों ने लूटा। यह सुनकर बस में सवार सभी यात्री भयभीत हो गए।और कंडक्टर का वहां से यूं चले जाना। उनके मन की शंका को और बढ़ा गया। सब लोगों के मन में यह था कि कहीं डकैत आकर उनके साथ मारपीट करके उन्हें लूट न लें। गुस्से में बस यात्रियों ने बस के ड्राइवर के साथ अभद्र व्यवहार करना शुरू कर दिया। लेखक ने लोगों को समझाने बुझाने की कोशिश की। लेकिन किसी पर कोई असर नहीं हुआ।
तभी अचानक बस का कंडक्टर एक नई बस लेकर आ पहुंचा। तब कंडक्टर ने यात्रियों को बताया कि पुरानी बस चलने लायक नहीं थी। इसीलिए वह नई बस लेने गया था और साथ में ही कंडक्टर लेखक के बच्चों के लिए दूध व पानी का इंतजाम भी करके लाया था।
इसके बाद यात्रियों ने बस ड्राइवर व कंडक्टर से अपने किये की माफी मांगी। और सभी यात्रियों ने नए बस में बैठ कर अपना सफर सकुशल पूरा किया।
लेखक कहते हैं कि भारतवर्ष ने हमेशा भौतिक सुख-सुविधाओं की जगह व्यक्ति के गुणों को महत्व दिया है। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि हर व्यक्ति के अंदर लोभ मोह , काम , क्रोध की भावना छुपी होती हैं। लेकिन इनको अपने ऊपर हावी होने देना , बहुत बुरी बात है।
इन उदाहरणो से लेखक के मन में आशा की किरण जागती है और वे कहते हैं कि अभी निराश नहीं हुआ जा सकता। लेखक ने टैगोर के एक प्रार्थना गीत का उदाहरण देकर कहा है कि जिस प्रकार उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि चाहे जीतनी विप्पति आये वे भगवान में ध्यान लगाएं रखें। लेखक को विश्वास है की एक दिन भारत इन्ही गुणों केबल पर वैसा ही भारत बन जायेगा जैसा वह चाहता है। अतः अभी निराश न हुआ जाय।
कठिन शब्द अर्थ
- प्रत्यारोप - पलट के आरोप लगाना
- दोष - अवगुण
- महुअल - वातावरण
- उपेक्षा - अपमान
- आक्रोश - गुस्सा
- उद्घाटित – उभारना