रक्त और हमारा शरीर

पाठ 6 रक्त और हमारा शरीर

रक्त सम्बन्धित जानकारी -

लहू या रुधिर या खून(Blood) एक शारीरिक तरल (द्रव) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित ऊतक है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है।

रक्त प्रकार (जो रक्त समूह भी कहलाता है), लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) की सतह पर उपस्थित आनुवंशिक प्रतिजनी पदार्थों की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर आधारित रक्त का वर्गीकरण है। ये प्रतिजन रक्त समूह तंत्र के आधार पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोप्रोटीन, या ग्लाइकोलिपिड होते हैं और कुछ प्रतिजन अन्य प्रकार के ऊतक की कोशिकाओं पर भी मौजूद हो सकते हैं

इनमें से अनेक लाल रक्त कोशिकाओं की सतह के प्रतिजन, जो एक एलील (या बहुत नजदीकी से जुड़े हुआ जीन) से व्युत्पन्न होते हैं, सामूहिक रूप से एक रक्त समूह तंत्र बनाते हैं।

रक्त के प्रकार वंशागत रूप से प्राप्त होते हैं और माता व पिता दोनों के योगदान का प्रतिनिधित्व करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय रक्ताधन सोसाइटी (ISBT) के द्वारा अब कुल 30 मानव रक्त समूह तंत्रों की पहचान की जा चुकी है।

बहुत गर्भवती महिलाओं में उपस्थित भ्रूण का रक्त समूह उनके अपने रक्त समूह से अलग होता है और मां भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के विरुद्ध प्रतिरक्षियों का निर्माण कर सकती है। कभी कभी यह मातृ प्रतिरक्षी IgG होते हैं। यह एक छोटा इम्यूनोग्लोब्युलिन है, जो अपरा (प्लासेन्टा) को पार करके भ्रूण में चला जाता है और भ्रूणीय लाल रक्त कोशिकाओं के रक्त विघटन (हीमोलाइसिस) का कारण बन सकता है। जिसके कारण नवजात शिशु को रक्त अपघटन रोग हो जाता है, यहभ्रूणीय रक्ताल्पता की एक बीमारी है जो सौम्य से गंभीर हो सकती है।

लाल रक्त कोशिका संगतता

रक्त समूह AB वाले व्यक्तियों की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर A और B दोनों प्रतिजन होते हैं और उन के रक्त सीरम में A और B प्रतिजन के ख़िलाफ़ कोई प्रतिरक्षी नहीं होता। इसलिए, रक्त समूह AB वाला व्यक्ति किसी भी समूह से रक्त प्राप्त कर सकता है (AB को प्राथमिकता दी जायेगी), लेकिन केवल AB प्रकार वाले व्यक्ति को ही रक्त दान कर सकता है।

रक्त समूह A वाले व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर प्रतिजन A होता है और रक्त सीरम में B प्रतिजन के ख़िलाफ़ IgM प्रतिरक्षी होते हैंइसलिए, रक्त समूह A वाला व्यक्ति केवल रक्त समूह A या O वाले व्यक्तियों से रक्त प्राप्त कर सकता है (A को प्राथमिकता दी जायेगी) और A या AB रक्त समूह वाले व्यक्तियों को रक्त दान कर सकता है।

रक्त समूह B वाले व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर B प्रतिजन होता है और रक्त सीरम में A प्रतिजन के ख़िलाफ़ IgM प्रतिरक्षी होते हैंइसलिए, रक्त समूह B वाला व्यक्ति केवल रक्त समूह B या O वाले व्यक्तियों से रक्त प्राप्त कर सकता है (B को प्राथमिकता दी जायेगी) और B या AB रक्त समूह वाले व्यक्तियों को रक्त दान कर सकता है।

रक्त समूह O (या कुछ देशों में रक्त समूह जीरो) वाले व्यक्तियों की लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर A और B दोनों प्रतिजन नहीं होते हैं लेकिन उन के रक्त सीरम में A और B प्रतिजन के ख़िलाफ़ IgM एंटी-A प्रतिरक्षी और एंटी-B प्रतिरक्षी होते हैं। इसलिए, रक्त समूह O वाला एक व्यक्ति केवल रक्त समूह O वाले व्यक्ति से ही रक्त प्राप्त कर सकता है, लेकिन किसी भी ABO रक्त समूह वाले व्यक्ति (यानि A, B, O या AB) को रक्त दान कर सकता है। यदि किसी को भयानक आपात स्थिति में एक रक्ताधान की जरूरत है, ग्राही के रक्त की जांच आदि की प्रक्रिया को पूरी करने से हानिकारक देरी हो सकती है तो तुंरत O ऋणात्मक रक्त जारी कर दिया जाता है।

ग्राही समान रक्त समूह का प्लाज्मा प्राप्त कर सकते है, लेकिन लाल रक्त कोशिकाओं के मामले में रक्त प्लाज्मा के लिए दाता ग्राही संगतता विपरीत होती है: रक्त समूह AB से निष्कर्षित किया गया प्लाज्मा किसी भी रक्त समूह के व्यक्ति को दिया जा सकता है; रक्त समूह के व्यक्ति किसी भी रक्त समूह के प्लाज्मा को प्राप्त कर सकते हैं; और O प्रकार का प्लाज्मा केवल O प्रकार के ग्राही के द्वारा ही उपयोग किया जा सकता है। 

पाठ का अर्थ - यह निबंध यतीश अग्रवाल जी द्वारा लिखा गया है जिसमे डॉक्टर दीदी , दिव्या , अनिल के माध्यम से खून में होने वाली कमी से क्या क्या बीमारी हो सकती है यह बताया गया है रक्त का हमारे शरीर में क्या महत्त्व है इस बात की जानकारी दी गयी है साथ हे रक्तदान का महत्व हमारे जीवन में क्या है वह भी बताया गया है रक्त की कमी से जो एनीमिया बीमारी है वह बताया गया है , लाल रक्त कण , सफ़ेद रक्त कणों की जानकारी व रक्त की जानकारी की किस प्रकार उसकी जांच की जाती है वह बताया गया है।

पाठ का सार - अनिल अपनी छोटी बहन दिव्या को लेकर जांच करवाने डॉक्टर के पास गया वह उसे खून की कमी बताए गयी और डॉक्टर दीदी के पास भेज दिया गया डॉक्टर ने दिव्या का खून लेकर उसकी जांच करके कल रिपोर्ट लेने को कहा अगले दिन जब अनिल उसकी रिपोर्ट लेने गया तो उन्होंने बताया दिव्या को अनीमिया की बीमारी है अनिल ने दीदी से पुछा ये अनीमिया क्या होता है , दीदी ने बताया की उसे लाल द्रव जैसा दिखाए देने वाला रक्त को पहले जानना होगा इसके दो भाग होते है प्लाज्मा और प्लेलटस , प्लाज़्मा इसका तरल भाग है परन्तु प्लेटलेट्स में सफ़ेद , लाल , बेरंग कण होते है। दीदी ने उसे सूक्ष्मदर्शी की सहायता से लाल कण दिखये जो उसे बालुशाई की भाँती दिखाए दे रहे थे दीदी ने बताया ये गोल अवतल होते है रक्त की एक बूँद में हे लाखों लाल कण की संख्या होती है एक मिलीलीटर रक्त में चालीस से पचपन लाख कण होते है ये लाल कण हे शरीर में ओक्सिजन पहुंचाते है इनका जीवन काल लगभग चार महीने का होता है पुराने कण नष्ट हो जाने पर ये लाल कण बनते रहते है।

रक्त के कणों का निर्माण हड्डियों के मध्य भाग मज्जा में बहुत से कारखाने प्रोटीन , लोहतत्व , विटामिन कच्चे माल के द्वारा करते है। अनीमिया पौष्टिक आहार की कमी और पेट में कीड़े हो जाने के कारण होता है डॉक्टर दीदी ने कहा की इस रोग से बचने के लिए साफ़ सुथरे हाथों से भोजन खाना चाहिए और शौचालय का प्रयोग करना चाहिए।

दीदी ने बताया की हमारे सफ़ेद कण वीर सिपाही होते है जो रोगाणुओं से डटकर मुकाबला करते है उन्हें शरीर के अंदर नहीं आने देते।  प्लेटलेट्स का कार्य शरीर में चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करना है खून की कमी में खून देना भी पड़ता है सभी का रक्त एक जैसा नहीं होता जांच के बाद हे खून चढ़ाया जाता है आपातकालीन इस्थिति में ब्लड बैंक से रक्त चढ़ाया जाता है अनिल के पूछने पर दीदी बताती है की १८ वर्ष से ऊपर का व्यक्ति हे रक्तदान कर सकता है एक समय में ३०० मिलीलीटर हे रक्त लिया जा सकता है मनुष्य के शरीर में ५ लीटर हे खून होता है रक्तदान से शरीर में कोई कमज़ोरी नहीं आती उन्होंने रक्तदान की प्रेरणा दी की रक्दान करना चाहिए।

कठिन शब्द अर्थ

  • स्लाइड - खून जांच का यंत्र
  • सूक्ष्मदर्शी - छोटी चीज़ों को देखने का यन्त्र
  • अनीमिया - खून की कमी से होने वाला रोग
  • प्लाज़्मा - रक्त का तरल भाग
  • अवतल - किनारो से मोठे बीच से पतले
  • निराधार - बिना आधार के
  • नियमित - लगातार
  • पीठ ठोकना - शाबाशी देना 

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