मिठाईवाला

पाठ 5 मिठाईवाला

कहानी का अर्थ - लिखित मौखिक गद्य - पद्य रूप में प्रस्तुत कोई काल्पनिक या वास्तविक घटना जिसका उद्देश्य पाठकों या श्रोताओं का मनोरंजन करना अथवा कोई शिक्षा देना या किसी वस्तु स्थिति से परिचित करना होता है।

कहानी का सार- यह कहानी भगवतीप्रसाद वाजपेयी द्वारा लिखित है जिसमे कहानीकार ने एक पिता की भावनाओं को उजागर किया है की उसका बच्चों के प्रति प्रेम क्या होता है किस तरह पिता अपने बच्चे को खो देने के बाद दुसरे के बच्चों में ख़ुशी तलाश करता है।

एक आदमी पहले एक खिलोने वाले के रूप में आते है ,वह मधुर स्वर में खिलोने वाला गाके सुनाता है सभी बच्चे उस्सकी आवाज़ सुनके मोह ललचा से जाते है और उससे खिलोने का भाव तोतली भाषा में पूछते है नन्हे बच्चों से पैसे लेकर खिलोने देके वह वहां से गीत गता हुआ  चला जाता है  एक दिन राम विजय बहादुर के चुन्नू - मुन्नू बच्चे भी खिलोने लेके आये उनकी माँ रोहिणी इतने सुन्दर और सस्ते खिलोने देखकर सोचने लगी की वह इतने सस्ते खिलोने कैसे देकर गया।

इसके ठीक छह महीने बाद एक मुरलीवाले का शोर शहर में मच गया वह बहुत सस्ती मुरली बेचने वाला था रोहिणी इस व्यक्ति की आवाज़ पहचान गयी की ये व्ही खिलोने वाला है उसने तुरंत अपने पति से उसकी मुरली खरीद लेन को कहा रोहिणी ने अपने पति द्वारा उसे बुलाया और अपने बच्चों के लिए मुरली खरीद ली यह देखकर बाकि बच्चों ने भी उससे मुरली खरीदी एक बच्चा जिसके पास पैसे नहीं थे उसने उसे मुरली मुफ्त में दे दी।

फिर आठ मॉस बाद एक मिठाई वाला गीत गता हुआ आया। रोहिणी को इसका स्वर भी कुछ सुना सुना सा लगा वह अपनी चाट से तुरंत नीचे आयी उसने अपने मिठाईवाले को बुलाया उसने बताय की वो पहले खिलौने और मुरली बेचने आया था रोहिणी ने उससे इतनी सस्ती चीज़े बेचने का कारण पुछा उसके पूछने पर उसने बताया की वो अपने नगर का सबसे अमीर आदमी था उसके दो बच्चे एक सुन्दर पत्नी थी लेकिन अब कुछ भी नहीं रहा। अब वह पुराणी बाते याद करके फूट फूटकर रोने लगा उसने बताया की वह इन्ही बच्चों में अपने बच्चो को देखता है इसीलिए  यह सामन  बेचता फिरता है वह रोहिणी के बच्चे चुन्नू मुन्नू को मुफ्त में मिठाई देके गण गता हुआ वह से चला गया।

कठिन  शब्द  अर्थ

  • मादक - मस्त
  • अस्थिर - रुक जाना
  • छंदल  - सुन्दर    
  • हिलोर - लहर
  • उस्ताद - कुशल
  • साफा - पगड़ी
  • चिक - घूँघट
  • सोथनी - पैजामा
  • अतिशय - बहुत अधिक
  • क्षीण स्वर - कम स्वर
  • चाव - शौक
  • व्यर्थ - बेकार
  • मृदुल - कोमल

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