दादी माँ
- Books Name
- वसंत भाग - २ विवेचन
- Publication
- DMinors publication
- Course
- CBSE Class 7
- Subject
- Hindi Literature
पाठ 2 दादी माँ
कहानी का अर्थ - कहानी शब्द अंग्रेजी के समानार्थी शब्द शार्ट स्टोरी का समानार्थी है कहानी का शाब्दिक अर्थ है कहना "कथ' धातु से कथा शब्द बना जिसका अर्थ किसी बात को कहना है कहानी एक ऐसा आख्यान है जो पाठक पैर एक गहरा प्रभाव छोड़ता है।
कहानी का सार - यह कहानी शिव प्रसाद सिंह द्वारा लिखी गयी है जिसमे उन्होंने बड़ो के महत्त्व को दर्शाया है वे दादी माँ के महत्त्व को बताते है लेखक अब बड़े हो चुके थे थोड़ी सी परेशानी पड़ते हे परेशान हो जाते थे उनके दोस्त भी सामने साथ होने का दिखावा करते थे पीठ पीछे उनका मज़ाक उड़ाते थे ऐसे में दुखी होकर लेखक अपनी दादी माँ को बहुत याद करते थे जो ममता दया का भण्डार थी। लेखक को बरसात में गंदे पानी में कूदना पसंद था ऐसे में ेखक बीमार पद गए बिमारी में उन्हें साबू और निम्बू मिलता था इस बार वो भयानक बीमार पद गए थे बुखार उतरने का नाम हे नहीं ले रहा था दादी माँ दिन रात उनका बहुत ध्यान रखती थी वे उनके माथे पैर चबूतरे की चमत्कारी मिटटी लगती थी दादी जी को गदंगी बिलकुल न भाति थी उन्हें पचासी किस्म की दवाओं के नाम भी याद थे अबतो लेखक का मन भी नहीं करता बीमार पड़ने को क्युकी अब दादी माँ नहीं है।
एक बार दादी माँ रामी की चाची को उनके उधार लिए पैसे न वापिस करने पे डांट रही थी क्युकी वो और पैसे मांगने आयी थी उन्हें अपनी बेटी की शादी करनी थी लेखक ने जब दादी माँ को पैसे देने को खा तो उसे भी डांट कहानी पड़ी परन्तु कुछ दिन बाद उसे पता चले की उन्होंने चची को दस रुपए भी दे दिए थे और उनका उधर भी माफ़ कर दिया था।
लेखक के किशन भैया की शादी थी विवाह गीत अभिनय सभी औरते कर रही थी लेखक बीमार थे उन्हें अलग चारपाई पे उन्होंने लिटा दिया था उनके ामा का लड़का देर से पहुंचा जिसकी वजहसे बारात में न शामिल हो पाया औरतों ने ऐतराज किया की यह लड़के का काम नहीं है तो दादी मान ने कहा की छोटे लड़के बरह्मा और उसमे कोई अंतर नहीं है।
दादी माँ दादा जी के गुज़र जाने से बहुत दुखी रहती थी उन्होंने बहुत सुख दुःख देखे थे उनके श्राद के लिए पिताजी ने बहुत खर्चा किया जिसके लिए उन्होंने मना किया था अब उधार बहुत बढ़ गया शुभचिंतकों की कमी नहीं थी जिससे परेशानिया और भी बढ़ गयी थी।
एक दिन दादी माघ के महीने में गीले धोती पहने दिया जलाए संदूकं पे बैठी थी दादी माँ रो रही थी जब लर्खक ने कारन पुछा तो उन्होंने मना कर दिया बताने से पिताजी बहुत दुखी थे उधार की वजहसे तब दादी माँ ने उन्हें दिलासा दिया और अपने सोने के कंगन उन्हें दे दिए जो दादा जी की आखिरी निशानी थी अगली सुबह किशन भाई के हाथ में एक पत्र था जिसमे लिखा था दादी माँ नहीं रही , लेखक को इस बात पे विश्वास हे नहीं हुआ।
कठिन शब्द अर्थ
- प्रतिकूलता - विपरीत होना
- सन- रूई
- निस्तार - उद्धार , कल्याण
- वात्याचक्र - तूफ़ान, काल चक्र
- शीतल - ठंडी
- हुड़क - प्रबल इच्छा
- ज्वर - बुखार
- महामारी - बीमारी
- विलम्ब - देरी
- विहदल - रोके
- अभयदान - जीवनदान
- सहेजना - संभालकर रखना