खानपान की बदलती तस्वीर

पाठ 14 खानपान की बदलती तस्वीर

पाठ का सार - श्री प्रयाग शुक्ल इस निबंध के माध्यम से आधुनिक युग और पश्चिमी  सभ्यता के कारण खान पान में आये परिवर्तन के बारे में बताया है , पिछले पंद्रह वर्षों में खान पान में बहुत परिवर्तन आ गया  है उन्होंने समूचे भारत को एकीकृत क्र दिया है दक्षिणी सभ्यता का इडली साम्बर डोसा भारत में बड़े चाव से खाया जाता है उत्तर भारतीय में

रोटी दाल साग सब जगह मिलता है फ़ास्ट फ़ूड जैसे टू मिनट मैग्गी त्यार हो जाती है इसी प्रकार अन्य प्रदेशों के व्यजन भी देखे तो गुजरात का ढोकला बंगाल का रसगुल्ला हर जगह दिखाए देते है अंग्रेजो के टाइम के ब्रेड वाला नाश्ता अब हर घर में देखने को मिलता है।

खान पान के सकारात्मक पक्ष को देखे तो देश विदेश के व्यंजनों को जान्ने का अवसर मिला है कामकाजी महिलाये अब जल्दी बनने वाले व्यंजन को पसंद करती है मध्यमवर्गीयर परिवार में ये व्यजन जगह बना चूका है अब नए संस्कृति में राष्टीय एकता की झलक मिलती है।

परन्तु इसका नकारात्मक पक्ष देखे तो मिश्रित संस्कृति की वजहसे स्थानीय व्यंजनों की महत्वता  घट गयी है अब यह केवल पांच सितारा होटल में 'एथनिक ' नाम से प्रसिद्ध है मौसमी सब्जियों के व्यंजन भी अब नहीं मिलते गल्ली मुल्लों में बिकने वाली चीज़े अब ख़ास दुकानों में ही बिकते  है इस मिश्रित संस्कृति का विकास होता रहेगा पर इससे स्थाई स्वाद नहीं मिलेगा।

पाठ का अर्थ - यह निबंध खान पान की बदलती तस्वीर को दिखने के लिए लिखा गया है किस प्रकार हम मिश्रित संस्कृति को अपना रहे है और अपनी इस्थाए जड़े भूलते जा रहे है दूसरी तरफ विविधिता ने एकता का संग्रहण किया है फ़ास्ट फ़ूड अब ज़्यदा मिलते है जो मध्यमवर्गीय लोग भी आम खाने की तरह अपनाने लग गए है।

कठिन शब्द अर्थ

  • मिश्रित - मिला जुला
  • सकारात्मक - अच्छा
  • विस्तार - फैलाव
  • आम - सामान्य
  • ख़ास - विशेष
  • पश्चिम - पश्चिमी  सभ्यता

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