एक तिनका

पाठ 13 एक तिनका

"कविता" केवल रसात्मक या कर्णप्रिय अभिव्यक्ति नहीं है बल्कि कविता वह है जो कानों के माध्यम से हृदय को आंदोलित करे। जिस भाव की कविता हो उस भाव को जागृत करने में सक्षम हो।

महादेवी वर्मा ने कविता का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहा कि - "कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है।"

कविता -

इस कविता को कवि ने 'मैं' से आरंभ किया है- 'मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ'। कवि का यह 'मैं' कविता पढ़ने वाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़ने वाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में 'मैं' की जगह 'वह' या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव की जाएगा।

कविता का अर्थ -

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,

एक दिन जब था मुंडेर पर खड़ा।

आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,

एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।।

व्याख्या : उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि अयोध्या सिंह हरिऔधध  कह रहे है कि एक दिन वे अपने घर के दिवार के पास खड़े होकर घमंड से चूर  होकर सोच रहे थे कि उनके जीवन में कोई दुख नहीं है । तभी हवा से उड़कर एक तिनका उनके आँख मे पड़ जाता है और उनका घमंड चूर चूर  हो जाता है।

मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,

लाल होकर आँख भी दुखने लगी।

मूँठ देने लोग कपड़े की लगे,

ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।

व्याख्या : उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे है कि आँख में तिनका चले जाने के कारण वे बेचैन हो उठे । उनकी आँख लाल होकर दुखने लगी। लोग कपड़े का मूँठ का उपयोग करके उनकी आँख से तिनका निकालने की कोशिश करने लगे। इस दौरान उनकी ऐंठ, अहंकार और घमंड उनके मन से दूर भाग गए।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया,

तब ‘समझ ने यों मुझे ताने दिए ।

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,

एक तिनका है बहुत तेरे लिए ।

व्याख्या : उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि कह रहे है कि कि लोंगो ने जैसे-तैसे कवि की आँखों से तिनका निकाला। इसके बाद कवि के मन में यह ख़याल आया कि उन्हें घमंड नहीं करना चाहिए था, उनका घमंड तो एक मामूली तिनके ने ही चूर कर दिया।

इस प्रकार कवी सन्देश देते है की मनुष्य का व्यवहार हमेशा खाश और आदर्श वादी होना चाहिए , उपकारी स्वभाव होना चाहिए जिससे वह हमेशा कृतज्ञ रहे व मदद करने के लिए हमेशा त्यार खड़ा हो न की मै ऐसा हु , मै ऐसा हे क्यों कृ ये भाव नहीं आने चाहिए।

 कठिन शब्द अर्थ

  • ढब- तरिका,  
  • ताने- व्यंग्यपूर्ण वाक्य
  • झिझक संकोच
  • मूँठ किसी वस्तु को मट्ठी भर का आकार देना
  • ऐंठ घमंड
  • भगी भागना
  • घमंड- अहंकार
  • मुंडेर- छज्जा(छत का निचला हिस्सा),
  • अचानक एकदम से,
  • तिनका सुखे घास का छोटा सा हिस्सा

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