पाठ 7 पापा खो गए

पात्रों  की जानकारी - लड़की को अपने पापा का नाम-पता कुछ भी मालूम नहीं था। कहानी के सभी पात्र मिलकर उसके पापा को खोजने की योजना बनाते हैं इसी कारण इस नाटक का नाम 'पापा खो गए' रखा गया होगा। इसका अन्य शीर्षक 'लापता बच्ची' भी रखा जा सकता है क्योंकि इस नाटक में पूरे समय इसी बच्ची के घर का पता लगाने का प्रयास किया जाता है।

इसमें बिजली का खम्भा जो लड़की की मदद करते है  , पेड़ जो छुपाता है , लेटर बॉक्स जो चिठ्ठी पोस्ट करता है , कौआ जो सन्देश देता है , नाचनेवाली जो चित्र में है , एक लड़की जिसका अपहरण एक आदमी करता है उसके बारे में यह बताया गया है।

अपहरण से जुडी जानकारी -

आज भारत में अपहरण की घटनाएं आम हो गई हैं। हर वर्ष इनकी बढ़ती संख्या हमें यह सोचने पर विवश कर रही है कि मानव अब मानवता को छोड़कर दानवता की ओर अग्रसर हो रहा है। छोटे-छोटे मासूम बच्चों को ढाल बनाकर पैसा कमाने की चाह आज उन्हें यह निकृत्य कर्म करने को विवश कर रही है। अपराध जगत आज इतना अधिक फैल रहा है कि राजनीति भी उसी में समाती जा रही है। अपहरण करने और करवाने वाले कुर्सियों के मालिक बन बैठे हैं। संसद में बैठकर देश को चलाने वाले ये अपराधी किसी से नहीं डरते।

फ़िल्मों से प्रशिक्षण प्राप्त कर आम जनता को सताने वाले ये अपहरणकर्ता उन मासूम बच्चों के बारे में नहीं सोचते जो अपने जीवन में आए इन काले सायों को कभी भूल ही नहीं पाते। दिनों, हफ्तों, महीनों अपने परिवार के लोगों से दूर वे किस घुटन के साथ अपना समय बिताते हैं, यह कोई नहीं समझ पाता। ऐसे बच्चे भीतर से डरपोक हो जाते हैं। उनमें आत्मविश्वास का अभाव हो जाता है तथा ये एकांतवासी भी हो जाते हैं। बच्चों के साथ अन्याय करने वाले इन लोगों के लिए ऐसा कानून बनना चाहिए कि इस गलत काम को करने वाला उसके परिणाम के बारे में सोचकर काँप जाए।

अपहरण को अपना व्यवसाय बनाने वाले लोगों को राजनीति से दूर रखा जाए। क्या हमारे देश में अच्छे नेताओं का अभाव हो गया है? राजनीति और न्यायालय जब तक ऐसे लोगों को शरण देती रहेगी तब तक हमारे बच्चे इस देश में सुरक्षित नहीं रहेंगे। हम यदि हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण चाहते हैं, तो हमें कोई ठोस कदम उठाने होंगे। वरना वह दिन दूर नहीं जब अपहरण की घटनाओं की संख्या बढ़कर आसमान छू लेगी।चार जनवरी को अलीपुर इलाके से एक बच्चे को अगवा कर उसे आरके पुरम के दंपती के हाथों बेच दिया था। पुलिस उस बच्चे को बरामद करने की कोशिश में लगी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस गिरोह का तार अतंरराज्यीय मानव तस्कर गिरोह से भी जुड़ा हो सकता है।

आपराधिक कानून , अपहरण अवैध परिवहन, है asportation और उनकी मर्जी के खिलाफ एक व्यक्ति की कारावास। इसमें किसी को बांधना, गला घोंटना, या उन्हें एक बॉक्स में भरना कुछ भी शामिल हो सकता है। एस्पोर्टेशन/अपहरण तत्व आम तौर पर बल या भय के माध्यम से आयोजित किया जाता है लेकिन जरूरी नहीं है। यही है, अपराधी एक हथियार का उपयोग पीड़ित को वाहन में जबरदस्ती करने के लिए कर सकता है, लेकिन यह तब भी अपहरण कर रहा है यदि पीड़ित को स्वेच्छा से वाहन में प्रवेश करने के लिए लुभाया जाता है (उदाहरण के लिए इस विश्वास में कि यह एक टैक्सी है)।

पीड़ित को रिहा करने या अन्य अवैध उद्देश्यों के बदले फिरौती मांगने के लिए अपहरण किया जा सकता है । अपहरण के साथ शारीरिक चोट भी लग सकती है जो अपराध को गंभीर अपहरण की ओर ले जाती है।

बच्चे के अपहरण को बाल अपहरण के रूप में भी जाना जाता है , और ये कभी-कभी अलग कानूनी श्रेणियां होती हैं।

 ऑस्ट्रेलिया में, अपहरण एक आपराधिक अपराध है, जैसा कि राज्य अपराध अधिनियम, या राष्ट्रमंडल आपराधिक संहिता द्वारा परिभाषित किया गया है। यह एक गंभीर अभ्यारोपणीय अपराध है और इसमें 14-25 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।

कनाडा में  आजीवन कारावास की सजा होती है।

नाटक  का सार  - यह एकांकी श्री विजय तेंदुलकर ने लिखा है जिसमे उन्होंने निर्जीव वस्तुओं के माध्यम से सजीव पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया है इसमें बच्चों के अपहरण की वारदात को दिखाया गया है रात के समयएक बिजली का खम्बा , पेड़ , लेटर बॉक्स और दीवार पर नाचने  वाली लड़की का पोस्टर है सुबह वो जो भी बातें करते है रात को वह  आपस में उस पर वार्तालाप करते है खम्बा एक िस्थान पर खड़ा रहने की वजहसे परेशान है पेड़ कहता है वह तो पहले से हे यही जन्मा  था उस समय यहां  कुछ नहीं था केवल एक विशाल समुद्र था सड़क बनने पे जब खम्बा उसके पास लगा तो उसे लगा की उसे एक साथी मिल गया है बरसात के वक़्त पेड़ ने हे उसे सहारा दिया उस दिन से दोनों में दोस्ती हो गयी। दीवार  पे बनी नाचने वाली के टेड़े होने से उसके घुंघरू बज उठते थे।

उसी समय एक लेतिर्बोक्स भजन गुनगुनाता हुआ उसके पास आता है व्ही उसके पीछे से कौआ भी गता हुआ आता है लेटर बॉक्स अपने चिठ्ठिया निकल क्र पड़ने लगता है पेड़ व कहबा उसे रोकते है। तभी वह कुछ आहात होती है एक आदमी काढ़े पे बेहोश किये एक लड़की को कंधे पे उठए चला आता है उसे वह चोरकर अपने लिए खाने की तलाश में चला जाता है

आदमी के जाते हे सब उसकी बाते करते है उनकी बातें सुन लड़की उठ जाती है सब चुप हो जाते है लड़की अपने माँ पापा ऑर्डर घर को याद क्र रोने लगती है ये देख लेटर बॉक्स उससे उसके घर का पता पूछता है जो उसे मालूम नहीं होता सब उसकी माद्दा करने की सोचते है।

सब आपस में बाते करते है उसे बताते है की वह भी मानव की तरह बात क्र सकते है और उसे आदमी से बचने का उपाय सोचते है लड़की उनसे घुल मिल जाती है तभी वह आदमी आता है तब लड़की पेड़ के पीछे चिप जाती है उसे वह नहीं मिलती वह  आदमी वह से चला जाता है और सब खुश हो जाते है उनके साथ खेलकर वह लड़की सो जाती है।

उसके सोने के बाद सब उपाय सोचते है तभी कौआ कहता है की खम्बा और पेड़ टेड़े होकर उसके ऊपर खड़े हो जाइये जिससे लगे की की दुर्घटना हुए हैं कोई तो माद्दा करेगा हे सब कहते है कोई नहीं रुका तो तब कौआ लेटर बॉक्स से पत्र में सन्देश लिखने को कहता ह।

कुछ देर बाद वह सुबह हो जाती है पेड़ व खम्बा टेड़े होकर खड़े है, कौआ काओ काओं क्र रहा है व पोस्टर पर पापा खो गए बड़ा बड़ा लिखा है व लेटरबॉक्स अपनी और सबका ध्यान खींचते हुए कहता है की जिसे भी इस लड़की के पापा  मिले वो यह उन्हें ले आये पोस्टर की नाचने वाली भी लड़की की मुद्रा में कड़ी हो जाती है इस प्रकार वो उस लड़की की मदद करते है।

कठिन शब्द अर्थ

  • थार थार कापना- डर लगना
  • भंगिमा - मुद्रा
  • गरूर - घमंड करना
  • फ़ोकट - मुफ्त में
  • गश्त लगाना - चारों ओर घूमना
  • चकमा देना - धोखा देना
  • प्रेक्षक - दर्शक