पाठ 3: नादान दोस्त 

कहानी का अर्थ

नादान दोस्त प्रेमचंद्र जी की बाल कहानी है “हिन्दी गद्य की वह विधा है जिसमे लेखक किसी घटना, पात्र अथवा समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा देता है, जिसे पढ़कर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न होता है, उसे कहानी कहते हैं”।

पाठ  का सार

इस कहानी में केशव के घर कार्निस के ऊपर एक चिड़िया ने अंडे दिए थे। श्यामा केशव की बहन और वो अंडो को ध्यान से देखते और अपने खाने ढूढ़ जलेबी की सुध चोरकर मन में सोचते की अंडे कितने बड़े होंगे ?किस रंग, कितने होंगे? क्या खाते होंगे ? बच्चे कैसे निकलेंगे ? घोसला कैसा है ? दोनों ने कार्निस पर दाना रख दिया पीने के लिए पानी भी रख दिया कपडे की छत बना दी। गर्मी के दिन थे केशव अम्मा जी के सोते ही वहां से स्टूल ले आया श्याम ने स्टूल पकड़ा ,कार्निस पे हाथ रखते हे चिड़िया उड़ गयी उसके तीन अंडे रखे थे ,केशव ने कपडे की गद्दी बना अंडो के नीचे लगा दी जो तिनको पे पड़े थे , अब श्यामा भी स्टूल पे चढ़कर अंडे देखना चाहती थी पर केशव ने मना केर दिया तभी उनकी माँ आगई और दोनों की डाट लगाई, जब शयाम सोकर ४ बजे उठी उसने देखा अंडे नीचे पड़े है उसे लगा बच्चे उड़ गए अम्मा जी ने पुछा की तुम लोगो ने अण्डों को छुआ होगा श्यामा ने सब सच बताया फिर अम्मा जी ने बताया केशव तुझे नहीं पता अण्डों को छूने पर अंडे गंदे हो जाते है चिड़िया उन्हें नहीं सेती तुमने उनका सत्यानाश केर दिया है अब वहां कभी भी दोनों चिड़िया नहीं दिखी।

कठिन शब्द अर्थ

सुध - ध्यान

चारा - भोजन

पेचीदा - मुश्किल

हिकमत - उपाय

उधेड़बुन - सोच विचार

हिफाज़त - रक्षा

चीथड़े - फटे हुए

कसूर -अपराध

सोंटी - डंडा

जोग – कोशिश