पाठ 1: वह चिड़िया जो

वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।

वह चिड़िया जो-
कंठ खोलकर
बूढ़े वन-बाबा की ख़ातिर
रस उंँडेलकर गा लेती है
वह छोटी मुंह बोली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।

वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी ग़रबीली चिड़िया
नीले पंखोंवाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।

केदारनाथ अग्रवाल - यह कविता हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध कवि और साहित्यकार श्री केदानाथ अग्रवाल के द्वारा रचित है।उनकी कविताओं में प्रकृति का चित्रण अवश्य मिलता है।बचपन से ही ग्रामीण परिवेश में रहने के कारण प्रकृति के प्रति उनके मन में बहुत प्रेम तथा लगाव था। कवि ने अपने भीतर की कल्पित चिड़िया के माध्यम से मनुष्य के महत्वपूर्ण गुणों को उजागर किया है।

पाठ का सार

'वह चिड़िया जो ' केदारनाथ अग्रवाल जी द्वारा लिखी कविता है यह उन्होंने नीली पंखों वाली चिड़िया के माध्यम से अपने स्वभाव के बारे में बताया है वही चिड़िया जो छोटी सी है ,उसे दूध भरे ज्वार के दाने बहुत पसंद है जिसमे उसे बहुत संतोष है , छोटे मुँह वाली चिड़िया को जंगल में अकेले में गाना गाना पसंद है ,वह उफनती नदी में से बड़े गर्व के साथ अपनी चोंच में पानी भरके उड़ जाती है इस प्रकार उसे अन्न ,जंगल , नदी से बहुत प्यार है।

कठिन शब्द -अर्थ

जुंडी - ज्वार अनाज

संतोषी - धैर्य

कंठ - गला

बूढ़े वन बाबा - जंगल

विजन - एकांन्त

प्यार - प्रेम

टटोलना - ढूढ़ना

गरबीली - गर्व से भरी हुई

कविता का अर्थ-

 प्रथम पद में लेखक एक नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया का उल्लेख करते हुए बता रहे हैं कि यह चिड़िया बहुत ही संतोषी है तथा उसे अन्न से बहुत प्यार है। वह दूध से भरे ज्वार के दानों को बहुत ही रुचि से और रस लेकर खाती है, अर्थात कवि इस पद के माध्यम से स्वयं के संतोषी होने तथा अन्न के महत्व के बारे में बता रहे हैं।

द्वितीय पद में लेखक बता रहे हैं कि इस नन्ही चिड़िया को उस वन से भी बहुत प्यार है जिसमें वह रहती है तथा अपने बूढ़े वन बाबा और उसके वृक्षों के लिए वह अपने मीठे कंठ से मधुर और सुरीला गीत गाती है। उसे एकांत में रहना पसंद है तथा वह प्रकृति के साथ इस गीत का अकेले में आनंद लेना चाहती है।

अंतिम पद में कवि कहना चाहते हैं कि यह नीले पंखों वाली छोटी सी चिड़िया अत्यंत साहसी और गर्व से भरी हुई है क्योंकि यह चिड़िया छोटी होने के बाद भी उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है और नदी से और उसके जल से भी बहुत प्यार करती है।