गीत का अर्थ

पाठ 7: साथी हाथ बढ़ाना

गीत का अर्थ

'साथी हाथ बढ़ाना ' गीत साहिर  लुधियानवी द्वारा लिखा गया है जिसमे उन्होंने मिलजुलकर काम करने की ताकत को बताया है यह आज़ादी के बाद के दौर का समय का गीत है यह गीत नया दौर के लिए लिखा गया थ।  सुख दुःख परेशानिया सबके जीवन में आती है मिलकर काम करने से सब प्रे शनियों का हल निकल जाता है हमे हेर परिस्थति में आगे बढ़ते रहना चाहिए छोटी छोटी चीज़ों से मिलकर ही बड़ा चीज़ बनता है इसी प्रकार मिलकर हर छोटे छोटे प्रयास से प्रत्येक मुश्किल पड़ाव पार हो जाता है।

साथी हाथ बढ़ाना

एक अकेला थक जायेगा , मिलकर कदम उठाना।

साथी हाथ बढ़ाना।

हम मेहनतवालों ने जब भी , मिलकर कदम बढ़ाया

सागर ने रास्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया

फौलादी है सीने अपने , फौलादी हैं बाहें

हम चाहे चट्टानों में पैदा करदे राहें

साथी हाथ बढ़ाना।

गीत की व्याख्या - कवि इन पक्तियों में कहते है की हमे हमेशा मिल जुलकर काम करना चाहिए अकेला व्यक्ति काम करते हुए थक जाता है वह  एकता की शक्ति बताते हुए कहते है की जब जब मेहनती लोगो ने मिलकर अपनी मंज़िल की ओर कदम बढ़ाया है तब तब सागर ने भी रास्ता छोड़ा है जो बूँद बूँद से बना है इसी प्रकार पहाड़ भी अपना सर झुकाता है मिलजुलके काम करने से व्यक्ति अपनी किस्मत को पलट सकता है जैसे मेहनती व्यक्ति मिलकर काम करके चट्टानों में रास्ते  बना देता है हमे रुकना नहीं चाहिए अपने मंज़िल की ओर लगातार बढ़ते रहना चाहिए। कवि कहते है हमारी बाज़ुओं में बहुत ताकत है सीने भी  फौलाद से बना है जिससे हर मुश्किल काम भी आसानी से कर सकते है। 

मेहनत अपने लेख की रेखा ,मेहनत से क्या डरना

कल गैरों की खातिर की , आज अपनी खातिर करना

अपना दुःख भी एक है साथी , अपना सुख भी एक

अपनी मंज़िल सच की मंज़िल , अपना रास्ता नेक

साथी हाथ बढ़ाना। 

 गीत की व्याख्या - कवि कहते है की हम सभी भारत वासी बहुत मेहनती है जो मेहनत करने से कभी भी नहीं डरते कल ब्रिटिश के लोगों के लिए करते थे आज खुद के खातिर करना है भारत का निर्माण करना है। सुख दुःख तो जीवन का एक क्रम है जो जीवन प्रयन्त चलते रहते है इसीलिए वो तो हमारे साथी है दुःख में ज़ीज़दा हतोऊत्साहित नहीं होना चाहिए ही सुख में अतिप्रसन्न निरन्तर क्रम से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते रहना चाहिए क्युकी अपनी मंज़िल सच की ओर जाती है।

एक से एक तो मिले तो कतरा, बन जाता है दरिया

एक से एक मिले तो ज़र्रा ,बन जाता है सेहरा

एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत

एक से एक मिले तो इंसा, बस में कर ले किस्मत

साथी हाथ बढ़ाना।

गीत की व्याख्या - एकता की ताकत को कवि बताते है की एक एक बूँद मिलके ही दरिया बनता है इसी प्रकार छोटे छोटे ज़र्रे से सेहरा बनता है वैसे ही छोटी राई से मिलके पर्वत बनता है इसी प्रकार मेहनती व्यक्ति जब मेहनत करता है तो अपनी किस्मत भी पलट देता है इस तरह मिलकर सभी काम आसान हो जाते है। 

कठिन शब्द अर्थ

बोझ - भार

फौलादी - मज़बूत

राहें- रास्ते

कतरा - बूँद

ज़र्रा - कण

इंसा मनुष्य

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