पाठ 12 संसार पुस्तक है

पत्र का महत्त्व -

जैसे आधुनिक साधन लोकप्रिय हो गए हों, लेकिन पत्रों का अपना ही एक अलग महत्व था और रहेगा। पत्रों से जो आत्मीयता का बोध होता था, वैसी आत्मीयता का अनुभव ईमेल, व्हाट्सएप आदि में नहीं होता। ... पत्रों को लिखने की भी अपनी एक कला होती थी और लोग अपने विचारो, अपनी भावनाओं और अपनी संवेदनाओं को पूरी तरह अपने पत्र में उड़ेल देते थे।

पाठ का सार - इस पाठ में  एक पत्र लिखा गया है जो जवाहरलाल नेहरू जी ने अपनी  दस वर्षीय पुत्री इंदिरा गाँधी को लिखा था जिसमे वो दुनिया की हर  छोटी से छोटी चीज़ को पात्र के माध्यम से समझें चाहते थे उस समय वो इलाहाबाद में थे ओर इंदिरा जी मसूरी में वह कहते है की तुमने इंग्लैंड व भारत के बारे में इतिहास में पड़ा होगा पर अगर इनके असली बाते जाननी है तो समझलो सारा संसार एक ही है यहां सभी भाई बहन है एक समय था जब यह धरती बहुत गर्म रहती है यहां कोई जीवित नहीं रह पाता था यह धरती लाखों वर्ष पुरानी  किताबों को इतिहास के पन्नो में पड़ा जा सकता था परन्तु जब आदमी ही नहीं था तो किताबें कौन लिखता यदि पुराने समय के बारे में जानना है तो पहाड़ ,नदिया ,सितारे , समुद्र , जंगल इन्ही के माध्यम से जाना जा सकता है इस संसार रुपी पुस्तक को पड़ने के लिए यहां के पथ्थर पहाड़ों के बारे में पड़ना होगा। सड़क किनारे गिरा छोटा सा पत्थर भी एक पाठ बन सकता है।

जिस प्रकार भाषा का ज्ञान अक्षर से होता है उसी प्रकार हेर चिकना पत्थर अपनी पहचान खुद बताता है की वह गोल है , खुरदरा है , चमकीला है अंत में वह बालू का कण कैसे हो गया सागर किनारे जम गया जिस प्रकार छोटा सा पथ्थर हमे बहुत सी जानकारी देता है उसी प्रकार यह पथ्थर , पहाड़ , नदिया हमे ज्ञान देती है।        

कठिन शब्द अर्थ

खत - पत्र

आबाद - बसा हुआ

जर्रा - कण

दामन - तलहटी

घरोंदा - बच्चों द्वारा निर्मित मिटटी का घर