पाठ 17 सांस - सांस में बांस

कहानी का अर्थ - कहानी में पात्रों के माध्यं से भावनाओं को व्यक्त किया जाता है कहानी में एक घटना का पता चलता है।

कहानी का सार - यह पाठ एलेक्स एम् जॉर्ज द्वारा लिखा गया है जो की बॉस की विशेषताओं को बताता है।  बांस भारत के उत्तरी पूर्वी के सातों  क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है। यहां के समुदायों का भरण पोषण बॉस की मदद से पाया जाता है।  नागालैंड में रहने वाले लोगो ने तो बांस से हे चीज़े बनाना सीखा तभी से वह बांस का प्रयोग किया जा रहा ह।  बांस से केवल टोकरी नहीं बनती के चीज़ें बनाए जाती है जैसे चटाइयां, टोपिया , बर्तन ,सजावटी चीज़े , जाल , मकान ,पुल व खिलोने।

असम में मछली पकड़ने के लिए जाल बनाया जाता है जो बांस की खप्पचियों से शंकु आकार में बनाया जाता है।  उत्तरी पूर्वी भारत में अधिक बारिश होने के कारण लोगों के पास कुछ काम नहीं होता है। इसलिए वह बांस इक्कठे करते है एक से तीन साल के उम्र वाले भी बांस बनाने के काम में लाये जाते है बूढ़े बांस सख्त होने के कारण जल्दी टूट जाते है। बांस से शाखाये पत्तिया अलग करदी जाती थी दाओ यानि चौड़े फाल वाले चाक़ू से बांस छीलकर खप्पचिया त्यार कर ली जाती है। इसकी लम्बाई वस्तु के मुताबिक़ बनाए जाती है।

खप्पचियों के कारीगरी सीखने में के समय लग जाता है खप्पचियों को चिकना किया जाता है चिकना करने के लिए दाओ का प्रयोग किया जाता है इसके बाद उसकी रंगाए की जाती है रंगाई के लिए इमली के पत्तों और गुड़हल का प्रयोग किया जाता है काळा रंग के लिए आम की चाल में लपेटकर मिटटी में दबा दिया जाता है बांस की बनाए और बुनाईयों जैसी होती है।  चेक का डिज़ाइन बन जाता है। चील के लिए दोनों बानो को दो या तीन तानों के ऊपर और नीचे किया जाता है। ऐसे हे के प्रकार के डिज़ाइन बनते है।  टोकरी के सिरे नीचे की ओर मोड़कर फसा दिया जाता है ऐसे हे के प्रकार के डिज़ाइन बनते है इस प्रकार हमारी टोकरी तयार हो जाती है।

कठिन शब्द अर्थ

करतब - करामात

बहुतायत - बहुत अधिक

चलन - रिवाज़

शंकु - खूँटी

मसलन - उदाहरण के लिए

गठान - गाँठ

प्रक्रिया - तरीका