पाठ 16 वन के मार्ग में

तुलसीदास का जीवन परिचय - गोस्वामी तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे उन्होंने महान ग्रन्थ 'रामचरितमानस ' लिखा था जिसे आज भी पूरे भक्ति भाव से पड़ा जाता है इन्हे वाल्मीकि का अवतार भी कहा जाता है कहा जाता है रामचरितमानस का कथानक रामायण से हे उत्तपन्न हुआ है।

कविता का सार -  इस सेवैये में यह बताया गया है की जब सीता , राम , लक्ष्मण वनवास जाते है तब चलते चलते सीता जी थक जाती है उनके माथे पे पसीना आने लगता है होंठ सूखने लगते है तब लक्ष्मण जी उनके लिए पानी लेने के लिए  जाते है व राम जी वह पेड़ के नीचे विश्राम के लिए कहती है तो वो उनके पैर के कांटे निकालने लगते है जिससे सीता जी मन हे मन उनके प्यार से पुलकित हो उठती है।

कविता

पुर ते निकसि रघुवीर वधु .............चारु चली जल चावें।।

व्याख्या - श्री राम जी की वधु बाहर निकली हे थी की उनके माथे पर पसीना चमकने लगा इसी के साथ उनके मधुर होंठ भी प्यास से सूखने लगे थे वे राम जी से पूछती है की हमे पर्णकुटी अब कहाँ  बनानी है उनकी इस परेशानी को देखकर राम जी व्याकुल हो उठते है और उनकी आँखों से आंसू छलकने लगते है।

जल को गए ..............बिलोचन बाड़े।

व्याख्या - जब लक्ष्मण जी उनके लिए पानी लेने जाते है तब वह कहती है राम जी से की स्वामी आप थक गए होंगे तनिक पेड़ के नीचे विश्राम कर लीजिये उनकी व्याकुलता देख राम जी विश्राम करने पेड़ के नीचे बैठ जाते है जहां वो उनके पाऊँ से काटे निकालने लगते है उनका अपने लिए यह प्यार देखकर सीता जी मन हे मन खुश हो जाती है उनका मन पुलकित हो उठता है।

कठिन शब्द अर्थ

लकनाऊ - लक्ष्मण

पायँ - पैर

पुट - होंठ

भाल - माथा

जानकी - सीता

पुलको - खुश होना