- Books Name
- Sparsh and Sanchayan Bhag-2
- Publication
- Hindi ki pathshala
- Course
- CBSE Class 10
- Subject
- Hindi
पाठ 3: समास
समास’ के निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे राजपुत्र।
समास-विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास विग्रह कहलाता है | विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है जैसे-राज + पुत्र- राजा का पुत्र |
पूर्वपद और उत्तरपद
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं ।
जैसे-गंगाजल गंगा+जल, जिसमें गंगा पूर्व पद है, और जल उत्तर पद। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।
समास के भेद
समास के छः भेद हैं:
- अव्ययीभाव
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- द्विगु
- द्वन्द्व
- कर्मधारय
अव्ययीभाव समास- जिस समास का पहला खण्ड प्रधान , वह अव्ययीभाव समास होता है। इसमें समस्त पद बन जाता है और विभक्ति चिह्न नहीं लगता ।
- जैसे
- क्षण-क्षण = प्रतिक्षण
- यथाशक्ति =शक्ति के अनुसार
- यथामति = मति केअनुसार
- यथाविधि= विधि के अनुसार
- हाथोंहाथ =हाथ-हाथ में
तत्पुरुष समास- जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे
- तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत(रचित)
- ज्ञातव्य विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं
- कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट गिरह को काटने वाला)
- करण तत्पुरुष (मनचाहा – मन से चाहा )
- संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर- रसोई के लिए घर)
- अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला देश से निकाला )संबंध तत्पुरुष (गंगाजल – गंगा का जल)
- अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास – नगर में वास)
कर्मधारय समास- जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद एवं उत्तर पद में विशेषण- विशेष्य, उपमान- उपमेय का सम्बन्ध हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं;
जैसे-
- वचनामृत = वचन रूपी अमृत
- कमलचरण = कमल जैसे चरण
- चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
- घनश्याम = घन जैसा श्याम
- आशा-किरण = आशा रूपी किरण
- आशालता = आशा रूपी लता
द्विगु समास - यह समास का दूसरा पद प्रधान हो और पहला पद संख्यावाची विशेषण हो, उसे दिगु समास कहते हैं
जैसे
- सप्तसिंधु=सात सिंधुओं का समूह
- चौराहा-चौराहों का समाहार
- नवग्रह- नौ ग्रहों का समूह
द्वन्द्व समास- जिस समास के दोनों खण्ड प्रधान हो परन्तु विग्रह करने पर जिसमें और प्रयोग होता है।
जैसे-
- माता-पिता=माता और पिता
- धर्माधर्म= धर्म और अधर्म
- सुख-दुःख =सुख और दुःख
बहुब्रीहि समास- जिस समास का कोई भी खण्ड प्रधान न हो,बल्कि समस्त शब्द अपने खण्डों या किसी अन्य पद का विशेषण हों अर्थात् जिससे किसी अन्य अर्थ का बोध हो।
जैसे-
- दशानन = दश आननों वाला (रावण)
- पीताम्बर = पीले अम्बरों वाला(श्रीकृष्ण)
- गजानन = गज (हाथी) के समान है आनन (मुंह) जिसका(गणेश)