पाठ 3: समास

समास’ के निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे राजपुत्र।

समास-विग्रह

सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास विग्रह कहलाता है | विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है जैसे-राज + पुत्र- राजा का पुत्र |

पूर्वपद और उत्तरपद

समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं ।

जैसे-गंगाजल गंगा+जल, जिसमें गंगा पूर्व पद है, और जल उत्तर पद। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।

समास के भेद

समास के छः भेद हैं:

  • अव्ययीभाव
  • तत्पुरुष
  • कर्मधारय
  • द्विगु
  • द्वन्द्व
  • कर्मधारय

अव्ययीभाव समास- जिस समास का पहला खण्ड प्रधान , वह अव्ययीभाव समास होता है। इसमें समस्त पद बन जाता है और विभक्ति चिह्न नहीं लगता ।

  • जैसे
  • क्षण-क्षण = प्रतिक्षण
  • यथाशक्ति =शक्ति के अनुसार
  • यथामति = मति केअनुसार
  • यथाविधि= विधि के अनुसार
  • हाथोंहाथ =हाथ-हाथ में

तत्पुरुष समास- जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

जैसे

  • तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत(रचित)
  • ज्ञातव्य विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।

विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं

  • कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट गिरह को काटने वाला)
  • करण तत्पुरुष (मनचाहा – मन से चाहा )
  • संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर- रसोई के लिए घर)
  • अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला देश से निकाला )संबंध तत्पुरुष (गंगाजल – गंगा का जल)
  • अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास – नगर में वास)

कर्मधारय समास- जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद एवं उत्तर पद में विशेषण- विशेष्य, उपमान- उपमेय का सम्बन्ध हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं;    

जैसे-

  • वचनामृत = वचन रूपी अमृत
  • कमलचरण = कमल जैसे चरण
  • चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
  • घनश्याम = घन जैसा श्याम
  • आशा-किरण = आशा रूपी किरण
  • आशालता = आशा रूपी लता

द्विगु समास - यह समास का दूसरा पद प्रधान हो और पहला पद संख्यावाची विशेषण हो, उसे दिगु समास कहते हैं

जैसे

  • सप्तसिंधु=सात सिंधुओं का समूह
  • चौराहा-चौराहों का समाहार
  • नवग्रह- नौ ग्रहों का समूह

द्वन्द्व समास- जिस समास के दोनों खण्ड प्रधान हो परन्तु विग्रह करने पर जिसमें और प्रयोग होता है।

जैसे-

  • माता-पिता=माता और पिता  
  • धर्माधर्म= धर्म और अधर्म
  • सुख-दुःख =सुख और दुःख

बहुब्रीहि समास- जिस समास का कोई भी खण्ड प्रधान न हो,बल्कि समस्त शब्द अपने खण्डों या किसी अन्य पद का विशेषण हों अर्थात् जिससे किसी अन्य अर्थ का बोध हो।

जैसे-

  • दशानन = दश आननों वाला (रावण)
  • पीताम्बर = पीले अम्बरों वाला(श्रीकृष्ण)
  • गजानन = गज (हाथी) के समान है आनन (मुंह) जिसका(गणेश)