पाठ 4: मुहावरे

मुहावरे की परिभाषा

मुहावरा एक ऐसा वाक्य होता है जो वाक्य की रचना करने पर अपना एक अलग अर्थ या विशेष अर्थ प्रकट करता है इनका प्रयोग करने से भाषा,आकर्षक, प्रभावपूर्ण तथा रोचक बन जाती है

उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग

अंक में समेटना–(गोद में लेना, आलिंगनबद्ध करना)

शिशु को रोता हुआ देखकर माँ का हृदय करुणा से भर आया और उसने उसे अंक में समेटकर चुप किया।

अंकुश लगाना–(पाबन्दी या रोक लगाना)

राजेश खर्चीला लड़का था। अब उसके पिता ने उसका जेब खर्च बन्द करके उसकी फ़िजूलखर्ची पर अंकुश लगा दिया है।

मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग

अनेक मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं की प्रत्येक मुहावरा अलंकार होता है या प्रत्येक अलंकारयुक्त वाक्यांश मुहावरा होता है।

  • सादृश्यमूलक मुहावरे:- लाल अंगारा होना (उपमा) , पैसा ही पुरुषत्व और पुरुषत्व ही पैसा है (उपमेयोपमा), अंगार बरसाना (रूपक) , सोना सोना ही है (अनन्वय)।
  • विरोधामूलक मुहावरे :- इधर-उधर करना, उंच-नीच देखना, दाएं-बाएं न देखना , पानी से प्यास न बुझना।
  • सन्निधि अथवा स्मृतिमूलक मुहावरे :- चूड़ी तोडना, चूड़ा पहनाना , दिया गुल होना , दुकान बढ़ाना, मांग-कोख से भरी-पूरी रहना।
  • शब्दालंकारमूलक मुहावरे :- अंजर-पंजर ढीले होना , आंय-बांय-सांय बकना , कच्चा-पक्का, देर-सवेर।

मुहावरे की विशेषताएं

  • मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में किया जाता है अलग नहीं।
  • मुहावरा अपना असली रूप कभी नहीं बदलता है । उसे पर्यायवाची शब्दों में अनुदित नहीं किया जा सकता है।
  • मुहावरे का शब्दार्थ ग्रहण नहीं किया जाता है उसका केवल विशेष अर्थ ही ग्रहण किया जाता है।
  • मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार ही निश्चित होता है।